चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को मेरठ जिले के नूरपुर ग्राम में किसान परिवार में हुआ था।
Edited By VIjay Sharma
नई दिल्ली (सच कहूँ डेस्क)। देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है। भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण (Chaudhary Charan Singh) सिंह ऐसा कहते थे। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है।चाहे कोई भी लीडर आ जाए। चाहे कितना ही अच्छा कार्यक्रम चलाओ। जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता । स्वतंत्रता सेनानी से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक बने चौधरी ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलंद की और आह्वान किया कि भ्रष्टाचार का अंत ही देश को आगे ले जा सकता है। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी और प्रगतिशील विचारधारा वाले व्यक्ति थे। चौधरी चरण सिंह की आज 118वीं जन्मतिथि है। चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर ग्राम में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था।
सन् 1930 में महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में हुए थे शामिल।
- आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर सन् 1928 में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में वकालत शुरू की।
- वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे।
- जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था।
- 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के ‘पूर्ण स्वराज्य’ उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया ।
- सन् 1930 में महात्मा गांधी के चलाए सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए।
- आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया।
- इस कारण चरण सिंह को 6 माह कैद की सजा हुई।
Chaudhary Charan Singh ने 1939 में कर्जमाफी विधेयक पास करवाया था।
चौधरी चरण सिंह वो नेता थे जिन्होंने अंग्रेजों की गुलामी में भी भारत के किसानों का कर्ज माफ कराने का दम रखा था। उन्होंने खेतों की नीलामी, जमीन उपयोग का बिल तैयार करवाए थे। इसी वजह से उन्हें “किसानों का मसीहा” कहा जाता है। आपको बता दें, चरण सिंह ने 1979 में उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में प्रस्तुत अपने बजट में 25000 गांवों के विद्युतीकरण को मंजूरी दी थी। 1937 में जब देश में अंतरिम सरकार बनी थी तब चौधरी चरण सिंह भी विधायक बने थे। सरकार में रहते हुए उन्होंने 1939 में कर्जमाफी विधेयक पास करवाया था। वह पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से कर्जमाफी करवाई थी। चौधरी चरण सिंह के कार्यो को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर को भारतीय किसान दिवस की घोषणा की गई।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।