प्रेमी ओम प्रकाश, बड़ौत शहर, जिला बागपत (यूपी) से पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज की अपार दया-मेहर रहमत का प्रत्यक्ष करिश्मा इस प्रकार ब्यान करता है:-
प्यारे सतगुरू जी ने वचन फरमाया, ‘‘घबराओ ना भाई! वह तो 15 दिनों के बाद अपने आप ही दर्शन करने के लिए यूपी दरबार में आ जाएगा।’’
3 जुलाई 1980 को जब वह बड़ौत शहर से अपना कारोबार करने के बाद शाम को अपने गांव नसौली जा रहा था। जहां कि वह पहले रहता था। रास्ते में एक सुनसान जगह पर कुछ लुटेरों ने उसे घेर लिया व उस पर एकदम चाकुओं से हमला कर दिया। उस समय वह बुरी तरह जख्मी हो गया। लुटेरों ने उसे मरा हुआ जानकर सड़क के किनारे एक गड्ढ़े में फैंक दिया और भाग गए। थोड़ी देर बाद जब उसे होश आया तो उसने अपने आपको संभाला और किसी न किसी तरह गिरते-पड़ते अपने गांव पहुंच गया। गांव वालों ने उसे वहां से वापिस बड़ौत शहर ले जाकर अस्पताल में दाखिल करवा दिया।
उस समय उसके शरीर पर बहुत ही गहरे कई जख्म थे और उनमें से खून बह रहा था। शरीर में से अधिक खून निकल जाने की वजह से उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई थी। डॉक्टरों का कहना था कि वह 6-7 महीने से पहले ठीक नहीं हो सकता। परंतु उसके गांव की साध-संगत ने सिरसा दरबार में आकर पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से उपरोक्त सारी घटना का वर्णन किया तो प्यारे सतगुरू जी ने वचन फरमाया, ‘‘घबराओ ना भाई! वह तो 15 दिनों के बाद अपने आप ही दर्शन करने के लिए यूपी दरबार में आ जाएगा।’’ क्योंकि यूपी दरबार में अंग्रेजी महीने के हर पहले सप्ताह (रविवार) को सत्संग होता है और सच्चे पातशाह जी ने 15 दिनों बाद यानि अगस्त महीने के पहले सप्ताह में वहां जाना
था। कुल मालिक के वचनों अनुसार ठीक 15 दिनों बाद जब प्यारे सतगुरु जी डेरा सच्चा सौदा, बरनावा आश्रम में पहुंचे तो प्रेमी ओमप्रकाश भी अपने सतगुरु जी के दर्शन करने के लिए वहां पहुंच गया। प्रेमी के करीब करीब सारे जख्म भर चुके थे, परंतु उसके हाथ का एक जख्म काफी खराब हो चुका था। उस समय भी उस पर पट्टी बंधी हुई थी। दयालु दातार जी ने प्रेमी को अपने पास बुलाकर उसका हाल-चाल पूछा और उसके हाथ को अपने पवित्र हाथों में लेकर बहुत ही गौर से देखा। वह तो सच्चे पातशाह कुल मालिक का एक अनूठा खेल था। उसे स्पष्ट अनुभव हुआ कि वास्तव में पूज्य सतगुरु जी ने अपनी दृष्टि व अपार रहमत से उसके करोड़ों जन्मों के कर्मों को उन कुछ दिनों में ही काट दिया था। उस समय कुल मालिक जी ने वचन फरमाया, ‘‘भाई! उन बदमाशों को कुल मालिक स्वयं ही जल्दी सजा देगा।’’
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