सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि जो लोग (Chanting of Ram-Naam) राम-नाम जपा करते हैं, वो आत्मबल से परिपूर्ण होकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले जाते हैं। हर इन्सान के अंदर आत्मबल परिपूर्ण है, अब कौन, कितना इस्तेमाल में लाता है, ये सोचने वाली बात है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि भगवान ने सबको सौ प्रसेंट दिमाग दिया है, सिवाय उनके जो मंदबुद्धि हैं, कर्महीन हैं, बाकि सबको मालिक ने बहुत दिमाग दिया है। अब ये इंसान पर निर्भर करता है कि वह अपने दिमाग का इस्तेमाल कितना करता है? साइंटिस्टों के अनुसार, आज इन्सान 10-15 प्रसेंट अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हैं। अगर इससे थोड़ा-सा भी ज्यादा इस्तेमाल किया जाए तो उससे लोग नई-नई चीजें ईजाद कर लेते हैं। कम्प्यूटर है, सुपर कम्प्यूटर है, रॉकेट है, रॉकेट लॉचंर है, बहुत कुछ बनता जा रहा है दुनिया में।
दिमाग का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए आत्मबल जरूरी है
विनाशकारी चीजें बहुत बढ़ी हैं और बचाने वाली बहुत कम हैं, और ये सब दिमाग की वजह से ही बनी हैं। तो दिमाग का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए आत्मबल जरूरी है और आत्मबल को बढ़ाने के लिए राम का नाम, अल्लाह, वाहेगुरु, ईश्वर का नाम लेना अति जरूरी है। ज्यों-ज्यों आप मालिक का नाम लेते जाएंगे, भक्ति करते जाएंगे, त्यों-त्यों मालिक की रहमत के लायक बनेंगे और अंदर-बाहर तमाम खुशियों के हकदार बन जाएंगे। आपकी सारी गम, दु:ख, दर्द, चिंताएं मिट जाएंगी और परमानंद की प्राप्ति के काबिल आप बन जाएंगे।
आप जी ने फरमाया कि हमारे देश में एक साइको है कि ‘गुरुमंत्र’ कहो, ‘नाम’ कहो, तो लेने वाले कम होते हैं। लेकिन ‘मैथड ऑफ़ मेडिटेशन’ कह दो, तो ज्यादा नाम लेते हैं। उनको लगता है कि ये मेड इन यूएसए है! ये तो बहुत बड़ी चीज आ गई! जबकि उनको पता नहीं कि ‘गुरुमंत्र’ ही ‘मैथड ऑफ़ मेडिटेशन’ है, बल्कि ‘गुरुमंत्र’ वेदों में सबसे पहले आया। ये बाद की चीजें हैं कि इनका नाम बदलकर ‘मैथड ऑफ़ मेडिटेशन’ कह लीजिए, ‘कलमा’ कह लीजिए, ‘नाम’ कह लीजिए। तो बात एक ही है कि उस गुरुमंत्र, उस शब्द का अभ्यास आदमी ज्यों-ज्यों करता जाता है, त्यों-त्यों अंत:करण की मैल साफ होती है और मालिक की दया-मेहर के लायक इंसान बनता चला जाता है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।