Chandrayaan 3 Rover News: चांद से एक और बड़ी खबर सामने आ रही है। इसरो ने ट्वीट कर बताया है कि रोवर ने चांद की सतह पर सेंचुरी लगाते हुए अब तक 100 मीटर की दूरी तय कर ली है। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के प्रज्ञान का शतक पूरा हो चुका है, ये चंद्रमा के ऊपर अब तक 100 मीटर से अधिक दूरी तय कर चुका है और सफर जारी है। ISRO Chandrayaan 3 Mission
Chandrayaan-3 Mission:
🏏Pragyan 100*
Meanwhile, over the Moon, Pragan Rover has traversed over 100 meters and continuing. pic.twitter.com/J1jR3rP6CZ
— ISRO (@isro) September 2, 2023
चंद्रयान-3: पहली चुनौती में खरा उतरा
इसरो द्वारा भेजा गया चंद्रयान-3 मिशन का रोवर प्रज्ञान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी पहली चुनौती में खरा उतरा है। इसरो के अनुसार रविवार (27 अगस्त) को रोवर प्रज्ञान एक बड़े गड्ढे के पास पहुंच गया था। लेकिन पहले ही खतरे को भांप कर ये वापस सुरक्षित लौट आया। इसरो ने सोमवार को रोवर प्रज्ञान की कुछ और झलकियां साझा की हैं।
इसरो ने अब एक्स पर फोटो शेयर करते हुए बताया, ‘चंद्रयान-3 मिशन का रोवर प्रज्ञान 27 अगस्त को अपने स्थान से 3 मीटर आगे एक 4 मीटर व्यास वाले क्रेटर के पास पहुंचा। बाद में इसरो द्वारा रोवर को वापस लौटने की कमांड दी गई, जिससे ये सुरक्षित एक नए रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।’ रविवार को इसरो ने तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया था जोकि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के साथ लगे चेस्ट पेलोड के चांद की सतह का था। इसरो की ओर से जारी किए गए ग्राफ में चांद की सतह का तापमान -10 डिग्री सेल्सियस से 50 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तक दिखाई दे रहा है। इसरो के अनुसार पेलोड में तापमान जांचने का यंत्र फिट किया गया है जोकि सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है। इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हुए हैं।
14 दिन बाद चंद्रमा पर छा जाएगा अंधेरा, जानिए विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान का फिर क्या होगा
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक नया इतिहास रच दिया, जिसका पूरा देश जश्न मना रहा है। 23 अगस्त बुधवार की शाम को चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराईं गई थीं। जिसके बाद से ही विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान अपने काम में जुटे हुए हैं। बता दें कि इसरो ने इन्हें 14 दिन के मिशन पर भेजा है तो ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है कि 14 दिन बाद लैंडर और रोवर का क्या होगा, क्या ये चौदह दिन बाद धरती पर आ जाएंगे तो इसका जवाब है नहीं। India On The Moon
दरअसल इसका कनेक्शन सूरज की रोशनी से है, चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है, यानी 14 दिन तक सूरज उगता रहेगा। बता दें कि जिस वक्त चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराईं गई थी उस वक्त चंद्रमा पर दिन था और सूरज उग रहा था। इसके पीछे इसरो की प्लानिंग थी कि चंद्रमा के जिस हिस्से पर चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर उतर रहे हैं उस जगह पर अगले 14-15 दिनों तक सूरज की रोशनी आती रहे। India On The Moon
दरअसल चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर में सोलर पैनल लगे हुए वे सूरज से ऊर्जा लेकर खुद को चार्ज कर रहें हैं और इन्हीं पैनल्स के जरिए उन्हें ऊर्जा मिल रही है जब तक उन्हें सूरज की रोशनी मिलती रहेंगी उनकी बैट्री चार्ज होती रहेगी और वो काम करते रहेंगे। 14 दिन बाद चंद्रमा पर अंधेरा हो जाएगा जिसके बाद इनको ऊर्जा मिलनी बंद हो जाएंगी। और इनकी बैट्री चार्ज नहीं होंगी। और इस स्थिति में ये काम करना बंद कर देंगे। अंधेरा होने के बाद वे कुछ घंटों तक ही काम कर सकते हैं ये भी उनकी बैट्री पर निर्भर करता है कि उनकी बैट्री कितनी चार्ज है। India On The Moon
कहा जा रहा है कि अंधेरा होने के बाद वे फिर कुछ दिन सूरज निकलने का इंतजार करेंगे लेकिन इसकी उम्मीद बहुत कम है।14 दिनों के क्या फिर से लेंटर और रोवर काम करेंगे इसपर इसरो प्रमुख डॉ एस सोमनाथ ने बताया कि सूरज ढलने के साथ ही सब कुछ अंधेरे में डूब जाएगा। तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाएगा, ऐसे में इस तापमान पर इन सिस्टम का सुरक्षित बने रहना संभव नहीं है। उनका कहना है कि इस तापमान पर इनके सुरक्षित बचें रहने की संभावनाएं काफी कम है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि अगर यह सिस्टम सुरक्षित बने रहते हैं तो बहुत ही खुशी होगी। अगर ये दोबारा सक्रिय हो जाते हैं तो वे इनके साथ एक बार फिर काम शुरू कर पाएंगे और उन्हें उम्मीद है कि ऐसा ही हो।
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