Chandrayaan-3 : इसरो ने चंद्रयान-3 के कैमरे में कैद हुई चंद्रमा की पहली तस्वीरें जारी की है। चंद्रयान-3 ने शनिवार को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद ये नजारा दिखाया। आप वीडियों में देख सकते हैं कि चंद्रमा पर नीले हरे रंग के कई गड्ढे हैं। इसरो के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि पांच अगस्त 2023 को चंद्र कक्षा में चंद्रयान-3 का नजारा देखने को मिला। इसरो को उम्मीद है कि विक्रम लैंडर इस माह के अंत में 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
The Moon, as viewed by #Chandrayaan3 spacecraft during Lunar Orbit Insertion (LOI) on August 5, 2023.#ISRO pic.twitter.com/xQtVyLTu0c
— LVM3-M4/CHANDRAYAAN-3 MISSION (@chandrayaan_3) August 6, 2023
कैसे चंद्रमा तक पहुंचेगा इसरो का चंद्रयान, यहां पढ़ें उड़ान से उतरने तक की प्रक्रिया | Chandrayaan-3
इसरो ने इस देश के अंदर एक ऐसे मिशन को लॉन्च कर दिया है जो भारत को सुपरपावर बना लेगा। इसमें बड़ी बात ये है कि यह तकनीक केवल भारत के पास ही है। बता दें कि इसरो के इस चंद्रयान ने पूरी दुनिया में धमाल मचा रखा है। इसरो इसी के साथ सूर्यान गग्यान जैसे कई मिशन लॉन्च करने वाला है।
बता दें कि यह वो मिशन है जो सबके सामने है लेकिन इसी दौरान भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने कुछ ऐसी तकनीक डिवेलप कर डाली है, जो भारत के पास ही है। बता दें कि यह वो तकनीकी है जो समय आने पर या जरूरत पड़ने पर किसी महाविनाश हथियार का भी रुप ले सकतीं हैं जो एक ही झटके में युद्ध का पूरा का पूरा नक्शा बदल सकती है। जरुरत पड़ने पर ये रॉकेट लॉन्चर बन सकती है स्पेस में इंसानों को भेज देते हैं। Chandrayaan-3
आप जानते ही हैं भारत में इसरो ने 14 जुलाई को chandrayaan-3 मिशन लॉन्च कर दिया था। और 14 जुलाई दोपहर 2: 35 पर रॉकेट LVM3-M4 का इंजन स्टार्ट हुआ और चंद्रयान को हमारा रॉकेट बादलों को चीरते हुए chandrayaan-3 को लेकर चांद की तरफ गया। और जैसे ही रॉकेट chandrayaan-3 को लेकर बढ़ रहा था तो उस समय हर एक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। बताया जा रहा है कि chandrayaan-3 मिशन के 23 अगस्त की शाम 5:00 बजे चंद्रमा चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना जताई जा रही है। बता दे की लेंडर की सफल लैंडिंग होने के बाद भारत एक नया इतिहास रचेगा।
लैंडर की सफल लैंडिंग होने के बाद भारत दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करेगा। वहीं अगर सफल लैंडिंग हो जाती है तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। क्योंकि अब तक ये उपलब्धि सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास है। इसके साथ ही लैंडर की सफल लैंडिंग होने के बाद भारत दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करेगा। वहीं अब सवाल ये उठता है कि चंद्रयान चंद्रमा तक अपना रास्ता कैसे खोजेगा। तो चलिए बताते हैं कि चंद्रमा तक अपना रास्ता कैसे खोजेगा चंद्रयान।
दरअसल चंद्रयान-3 इस समय 40 हजार 400 किमी प्रतिघंटा की गति से धरती के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है। दरअसल अब 1 अगस्त 2023 की मध्य रात्रि 12 से साढ़े बारह बजे के बीच इसे लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी में डाला जाएगा। यानी चंद्रयान-3 लंबी यात्रा पर निकलेगा। बता दें कि करीब पांच दिन की यात्रा के बाद यानी 5 अगस्त को यह चंद्रमा की पहली बाहरी कक्षा में जाएगा। यानी यह लूनर ब्राउंड नेविगेशन शुरू होगा।
आपको बता दें कि chandrayaan-3 में किसी तरह का जीपीएस सिस्टम नहीं लगा है। असल में अंतरिक्ष में कोई जीपीएस सिस्टम काम नहीं करता। तो फिर सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट कैसे अपना रास्ता जानते हैं। ऐसे में उन्हें कैसे पता होगा कि किस रास्ते पर किस दिशा में जाना है। वहां तो कोई सड़क भी नहीं बनी है। ऐसे में स्पेसक्राफ्टस में लगे स्टार सेंसर्स मदद करते हैं।
फिलहाल chandrayaan-3 धरती के चारों तरफ पांचवें ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। इसके बाद फिर ये लंबी यात्रा पर निकलेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि chandrayaan-3 में कई सारे कैमरे लगाए गए हैं,यानी स्टार सेंसर्स लगे हैं। जिनके माध्यम से वह अंतरिक्ष में दिशा पता करता है। इसके लिए वह धुव्र तारा और सूरज की मदद लेता है। बता दें कि चंद्रयान रात में ध्रुव तारा और दिन में सूरज से रास्ते और दिशा का ज्ञान लेता है। असल में ध्रुव तारा जिसे पोल स्टार भी कहते हैं, वो उत्तर की दिशा की ओर इशारा करता है। यानी आप उसकी तरफ जा रहे हैं तो आप उत्तर दिशा में जा रहे हैं। इसी तरह विपरीत तो दक्षिण, और इसी तरह पूर्व और पश्चिम का पता चलता है।
वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप केवल chandrian 3 के बारे में जानकर ही खुश हो रहे हैं तो आप बहुत कुछ मिस कर रहे हैं। क्योंकि इसरो ने साइलेंटली एक ऐसा स्पेस मिशन लॉन्च कर दिया है जो भारत को सुपरपावर बना देगा। दरअसल इसरो के साइलेंटली प्रोजेक्ट TSTO ने चीन और अमेरिका की नींद उड़ा दी है। कहा जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को लॉन्च करने के बाद इसरो को अब कोई रॉकेट लांच नहीं करना पड़ेगा। इसरो का ये प्रोजेक्ट जरूरत पड़ने पर विनाशकारी हथियार का रूप भी ले सकता है। इसरो के इस लॉन्च से अमेरिका भी हक्का बक्का रह गया है। बता दें कि ये एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो भारत के दुश्मनों के लिए काल साबित तो होगा ही साथ ही साथ यह अंतरिक्ष के खर्चे को भी कम करेगा।
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