मां की अर्थी को कंधा देकर बेटियों ने निभाया बेटों का फर्ज
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शाह मस्ताना जी से नामदान लेकर परिवार को चलाया था इन्सानियत की राह पर
सच कहूँ/सुनील कुमार
खारियां। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं के चलते डेरा श्रद्धालु समाज में महिला उत्थान के लिए अनेक कार्य कर रहे है और महिलाओं को पुरूषों के बराबर दर्जा देने में जुटे हुए है। कुछ ऐसी ही बानगी रविवार सांय ब्लॉक रामपुरथेड़ी-चक्कां के गाँव चक्कां में देखने को मिली। गांव की सबसे बुजुर्ग (102 वर्षीय ) महिला कस्तुरी देवी रविवार को सतगुरु से ओड़ निभा गई। वे पिछले कुछ समय से बीमार थी। उनके मरणोपरांत ब्लॉक रामपुरथेड़ी-चक्कां व अन्य ब्लॉकों के जिम्मेवारों ने विनती-भजन के साथ कस्तुरी देवी का अंतिम संस्कार किया।
इससे पूर्व सचखंडवासी कस्तुरी देवी की अन्तिम यात्रा के समय उनकी बेटियां बाधो देवी, सुरसती देवी, मथरो देवी, सावित्रि देवी व सुमित्रा देवी ने उनकी अर्थी को कंधा देकर बेटा-बेटी एक सम्मान का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें माँ के सचखंड विराजने का दु:ख है। लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्हें डेरा सच्चा सौदा की शिक्षाओं की बदौलत माँ की अर्थी को कंधा देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इस अवसर बनवारी लाल, कृष्ण कुमार, जगदीश, महेन्द्र, राधा कृष्ण, बलबीर सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण व रिश्तेदार मौजूद रहे।
डेरा सच्चा सादा द्वारा महिलाओं को आगे लाने, उनको पुरूषों के बराबर का दर्जा दिलाने के उदेश्य से चलाई जा रही यह मुहिम समाज में बहुत ही सराहनीय व प्ररेणादायक साबित हो रही है। इससे समाज में बेटा बेटी एक समान को बढ़ावा मिल रहा है तथा समाजिक परिवेश में भी सुधार हो रहा है।
– प्रेमलत्ता, आंगनवाड़ी वर्कर चक्कां।
बेटों के बराबर माँ की अर्थी को कंधा देकर बेटियों ने समाज में एक नई शुरूआत की है। जो समाज को एक नई राह पर अग्रसर करेगी। हम सराहना करते हैं सर्वधर्म संस्था डेरा सच्चा सौदा की। जिसके द्वारा समाज में महिला उत्थान व इन्सानियत को बढ़ावा मिल रहा है।
– महेन्द्र नारायण, निर्वमान सरपंच, चक्कां।
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