Kanwar Yatra 2024 : हरिद्वार (एजेंसी)। गत दिवस उत्तराखंड (Uttarakhand) के हरिद्वार में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दो मस्जिदों एवं एक मजार के सामने अचानक से सफेद चादरें बिछा दी गईं, जिसको लेकर विभिन्न पक्षों में तनातनी बढ़ गई। हालांकि, शाम तक विभिन्न पक्षों द्वारा आपत्ति जताने के बावजूद चादरें उतार ली गईं। एक मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कावड़ यात्रा के दौरान ज्वालापुर इलाके में स्थित संरचनाओं के सामने बांस के मचानों पर चादरें बिछा दी गई थीं। Uttarakhand News
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मस्जिद के मौलाना और मजार के रखवालों ने कहा कि उन्हें चादरों के संबंध में किसी प्रशासनिक आदेश की जानकारी नहीं है और दावा किया कि यात्रा के दौरान पहले ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया था। हालांकि हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट इस टिप्पणी के दौरान उपलब्ध नहीं थे, लेकिन कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने संवाददाताओं से कहा कि शांति बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी कोई भी चीज केवल परेशानी को रोकने के लिए की जाती है।’’ Uttarakhand News
प्रशासन द्वारा विशेष पुलिस अधिकारी नियुक्त किए गए | Uttarakhand News
‘‘यह कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि हम निमार्णाधीन इमारतों को भी ढकते हैं। स्थानीय लोगों और नेताओं की आपत्ति के बाद शाम तक जिला प्रशासन ने कपड़े की चादरें हटा दीं। यात्रा के प्रबंधन के लिए प्रशासन द्वारा विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) नियुक्त किए गए।
दानिश अली ने कहा, ‘‘हमें रेलवे पुलिस चौकी से पर्दे हटाने के आदेश मिले थे। इसलिए हम इन्हें हटाने आए हैं।’’ वहीं दूसरी ओर हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक (शहर) स्वतंत्र कुमार ने बताया कि ऐसा करने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया था… न तो जिला प्रशासन की ओर से और न ही पुलिस की ओर से। कुमार ने कहा, ‘‘हमने संबंधित पक्ष से भी बात की है और पर्दे हटा दिए हैं। हमने स्थानीय लोगों से भी बात की है। यात्रा मार्ग पर बैरिकेड लगाए जा रहे थे और इसमें कोई गलती हुई होगी, जिसके कारण पर्दे लगाए गए। यह जानबूझकर नहीं किया गया।’’
कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री नईम कुरैशी ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा, ‘‘हम मुसलमान हमेशा कांवड़ मेले में शिवभक्तों का स्वागत करते हैं और जगह-जगह उनके लिए जलपान की व्यवस्था करते हैं। यह हरिद्वार में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सौहार्द की मिसाल है और यहां कभी पर्दे लगाने की परंपरा नहीं रही।’’ कुरैशी ने बताया कि कांवड़ मेला शुरू होने से पहले प्रशासन ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों को विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) नियुक्त किया गया था।
फैसले के बारे में उनसे सलाह नहीं ली गई : शकील अहमद
मजारों के संरक्षक शकील अहमद ने कहा कि धार्मिक संरचनाओं को ढकने के फैसले के बारे में उनसे सलाह नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि कांवड़िए पारंपरिक रूप से मस्जिदों और मजारों के बाहर पेड़ों की छाया में आराम करते हैं और यह पहली बार है जब ऐसा उपाय लागू किया गया है।
कांग्रेस नेता और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव अफाक अली ने मस्जिदों और मजारों को ढकने के प्रशासन के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। कुछ कांवड़िए मस्जिदों में मत्था टेकने भी जाते हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां हर कोई हर धर्म और जाति का ख्याल रखता है। आज मस्जिदों को ढका जा रहा है, कल अगर मंदिरों को भी इसी तरह ढका जाएगा तो क्या होगा?’’
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने दावा किया कि यह ‘सुप्रीम कोर्ट की अवमानना’ है। धस्माना ने कहा, ‘‘हरिद्वार जिले में कांवड़ यात्रा मार्ग पर मस्जिदों और मजारों पर पर्दे लगाने का आदेश, चाहे जिसने भी इसे जारी किया हो, सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ है, जिसने मार्ग पर होटल और रेस्तरां मालिकों तथा फल विक्रेताओं को अपना नाम, जाति और धार्मिक पहचान प्रदर्शित करने के लिए कहा था।’’ Uttarakhand News
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