Triple Talaq: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- तीन तलाक कानून अपराध नहीं!

Supreme Court
Triple Talaq: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- तीन तलाक कानून अपराध नहीं!

Triple Talaq: नई दिल्ली (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व वाली सरकार ने 2019 में ट्रिपल तलाक की प्रथा को अपराध घोषित कर दिया था। सोमवार, 19 अगस्त को, केंद्र सरकार ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में इस अधिनियम का बचाव करते हुए एक हलफनामा दायर किया और कहा कि याचिकाकर्ताओं को किसी भी ‘स्पष्ट रूप से मनमानी कार्रवाई’ के अपराधीकरण से कोई शिकायत नहीं हो सकती है। ‘ट्रिपल तलाक’ तलाक का एक ऐसा रूप है, जो इस्लाम में प्रचलित था, जिसके तहत एक मुस्लिम पुरुष तीन बार तलाक बोलकर अपनी पत्नी को कानूनी रूप से तलाक दे सकता था। Supreme Court

30 जुलाई 2019 को, भारत की संसद ने ट्रिपल तलाक की प्रथा को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया और 1 अगस्त 2019 से इसे दंडनीय कृत्य बना दिया। तलाक-ए-बिद्दत की घोषणा का भारतीय संविधान के तहत कोई कानूनी प्रभाव और परिणाम नहीं है। सोमवार को केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि 2019 का कानून विवाहित मुस्लिम महिलाओं के लैंगिक न्याय और समानता के बड़े संवैधानिक लक्ष्यों को सुनिश्चित करने में मदद करता है। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह उनके (विवाहित मुस्लिम महिलाओं के) गैर-भेदभाव और सशक्तिकरण के मौलिक अधिकारों को भी पूरा करता है।

तीन तलाक की प्रथा मुस्लिम समुदाय में विवाह संस्था के लिए ‘घातक’

केंद्र सरकार ने एक याचिका के जवाब में हलफनामा दायर किया, जिसमें तर्क दिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ट्रिपल तलाक को अमान्य घोषित कर दिया है और इसलिए इसे अपराध के रूप में दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने तर्क दिया है कि ट्रिपल तलाक की प्रथा को अपराध घोषित करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जिसमें वे अधिकार भी शामिल हैं जो भारतीय नागरिकों को कानून के समक्ष समानता की गारंटी देते हैं और धर्म के आधार पर भेदभाव को रोकते हैं। Supreme Court

अपने हलफनामे में मोदी सरकार ने उल्लेख किया कि 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रिपल तलाक को अमान्य घोषित करने का इस प्रथा पर कोई निवारक प्रभाव नहीं पड़ा, इसलिए इसे अपराध घोषित करने की प्रक्रिया की आवश्यकता थी। 22 अगस्त 2017 को भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दा) को असंवैधानिक करार दिया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि तीन तलाक की प्रथा मुस्लिम समुदाय में विवाह संस्था के लिए ‘घातक’ है। हलफनामे के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इससे मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय हो गई है।’’

पतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती

रिपोर्ट में सरकार ने कहा, ‘‘’तीन तलाक’ की पीड़िताओं के पास पुलिस के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और पुलिस असहाय है क्योंकि कानून में दंडात्मक प्रावधानों के अभाव में पतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसे रोकने के लिए कड़े (कानूनी) प्रावधानों की तत्काल आवश्यकता थी।’’

2021 में, तत्कालीन केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि 2019 के अधिनियम द्वारा भारत में इस प्रथा को अपराध घोषित किए जाने के बाद से तत्काल तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। नकवी ने कहा था, ‘‘एक अगस्त 2019 को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम लागू होने के बाद से तीन तलाक के मामलों में 80 फीसदी की कमी आई है। कानून लागू होने से पहले उत्तर प्रदेश में 63,000 से अधिक मामले दर्ज थे, लेकिन कानून लागू होने के बाद यह संख्या घटकर 221 रह गई। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम लागू होने के बाद बिहार में 49 मामले दर्ज किए गए।’’ Supreme Court

Virat Kohli: विराट कोहली के अंतर्राष्ट्रीय ‘क्रिकेट’ में कुछ ऐसे रिकॉर्ड जिन्हें तोड़ पाना मुश्किल