नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की वैधता के खिलाफ दायर 200 से अधिक याचिकाओं को अलग करने के सुझाव पर सोमवार को केंद्र सरकार से चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा। मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को याचिकाकतार्ओं के वकीलों के सुझाव के मुताबिक चार सप्ताह के अंदर सरकार का पक्ष रखने का आदेश देते हुए संकेत दिया कि इस मामले को सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों के समक्ष भेजा जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली थी। शीर्ष अदालत ने 18 दिसंबर 2019 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की वैधता की जांच करने का फैसला किया था, लेकिन कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे।
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