नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मृत्यु के मामले की जांच पर केंद्र सरकार की मुहर लगने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जांच जिम्मेदारी संभाल ली है। सीबीआई सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर जांच की स्वीकृति प्रदान कर की है। इसके बाद कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने जांच से संबंधित एक अधिसूचना भी जारी कर दी। इस आधार पर केंद्रीय जांच एजेंसी में जांच का जिम्मा संभाल लिया।
देश के साधुओं के सबसे बड़े मानेजाने वाले संगठन के अध्यक्ष रहे महंत गिरी का शव सोमवार को उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के बाघंबरी मठ में फांसी के फंदे पर लटकता मिला था। महंत गिरी की मौत पर कई सवाल उठ रहे थे। विभिन्न प्रमुख राजनीतिक दलों एवं सामाजिक धार्मिक संगठनों से जुड़े लोगों और नेताओं की ओर से लगातार सीबीआई जांच की मांग की जा रही थी।
कमरे में मृत पाए गए थे नरेंद्र गिरी
गौरतलब हैं कि 72 साल महंत सोमवार को बाघंबरी मठ स्थित अपने कमरे में मृत पाए गए। प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि गिरि की मौत फांसी के कारण दम घुटने से हुई है। उत्तर प्रदेश पुलिस की एक जांच के अनुसार, महंत को आखिरी बार सोमवार को दोपहर के भोजन के बाद अपने कमरे में प्रवेश करते देखा गया था। शाम को उनके शिष्यों ने दरवाजा खटखटाया तो कोई जवाब नहीं आया। जब उनके शिष्यों ने दरवाजा तोड़ा और कमरे में प्रवेश किया तो उन्होंने नरेंद्र गिरि को छत से लटका पाया।
कई संतों ने महंत की मौत को हत्या करार दिया
जिस कमरे में महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी वसीयत लिखी थी, उस कमरे से एक कथित हस्तलिखित सुसाइड लेटर भी बरामद किया गया था और कई लोगों के नाम उसमें लिखे हुए थे। उनकी मृत्यु के बाद एक बड़ा विवाद तब खड़ा हो गया जब कई संतों ने कथित सुसाइड नोट को फर्जी करार दिया और महंत की मौत को हत्या करार दिया। महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में तीन लोगों आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को यूपी पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
महंत नरेन्द्र गिरी की मौत का रहस्य और गहराया, गर्दन के चारों ओर मिले काले निशान
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।