देश के तीन राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकार ने कोरोना वायरस कोविड-19 को महामारी घोषित कर दिया है। आधी दर्जन राज्यों ने स्कूल-कॉलेज भी बंद करने का निर्णय लिया है। भले ही यह शिक्षण संस्थान बंद करने का निर्णय सही है लेकिन इन निर्णयों से जनता में किसी भी प्रकार की घबराहट व दहशत न पैदा हो इसको लेकर भी सावधान रहना होगा। केंद्र व राज्य सरकारें वायरस से बचने के लिए अपने मुकम्मल प्रबंध होने के दावे कर रही हैं।
दरअसल चीन के बाद सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश भारत है। अधिक जनसंख्या होना व विकासशील देश में लापरवाही और गलतियों की गुंजाईश ज्यादा रहती है। भारतीय लोगों की जीवनशैली और मानसिकता भी अन्य मुल्कों की अपेक्षा अलग है। यहां या तो लापरवाही बरती जाती है या फिर अफवाहों का दौर चलता है। दोनों बातें ही व्यवस्था को बिगाड़ सकती हैं। कुछ राजनीतिक पार्टियों ने अपनी रैलियां रद्द कर उचित कदम उठाया है। बीमारी के प्रति सावधानी बरतने के लिए हर किसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। वायरस के कारण आर्थिकता को भी ज्यादा नुक्सान पहुंचा है। शेयर बाजार औंंधे मुंह गिरने के कारण निवेशकों के अरबों रुपए डूब गए दूसरी तरफ मजदूर वर्ग और छोटे कार्य करने वाले लोगों के लिए रोजी-रोटी के लाले पड़ गए। सरकार को स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ आर्थिक मोर्चें पर भी ध्यान देना चाहिए।
पर्यटन उद्योग बुरी तरह घाटे में चल रहा है। इस सूरत में करोड़ों लोग बेरोजगार हो सकते हैं। इन हालातों में भुखमरी पैदा होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। जरूरतमन्दों की पहचान और आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई एक बड़ी चुनौती है। सप्लाई कम होने के कारण सब्जियों व अन्य आवश्यक वस्तुओं के भाव भी बढ़ेंगे। इस मामले में प्रत्येक भारतीय को सावधानी के साथ-साथ मानवता के प्रति संवेदनशीलता भी अपनानी चाहिए। जमीनी स्तर पर प्रबंधों की देखरेख के लिए अधिकारियों को जज्बे व जिम्मेदारी से कार्य करने की आवश्यकता है। भले ही देश में वायरस के कारण केवल एक मरीज की ही मौत की पुष्टि हुई है और पीड़ित मरीजों की संख्या 77 है। फिर भी रोग की भयानकता के मद्देनजर इससे निपटने के लिए प्रबंधों में कमी नहीं रहनी चाहिए। बेहतर हो यदि सरकारें और विपक्षी दल मौजूदा हालातों में राजनीति छोड़कर इंसानियत की भलाई के लिए एकजुट होकर काम करें।
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