संकट में हरियाणा के गोवंश, चारे को तरसे
- प्रदेश भर में बनी समस्या, सरकार भी बेबस
चंडीगढ़(अश्वनी चावला/सच कहूँ)। कोरोना को लेकर लॉकडाउन के चलते अब हरियाणा में गोवंश संकट में आ गया है। सरकार व समाज सेवी संस्थाओं की मदद से इस मुश्किल घड़ी में इंसानों की भूख तो शांत हो रही है। लेकिन पशुओं के लिए हरे चारा का प्रबंधन न होने के चलते गोवंश सहित पशुओं पर भूखमरी का संकट मंडरा रहा है। ऐसे में सबसे ज्यादा संकट उन गौशाला के लिए पैदा हो रहा है, जिनके पास बड़ी संख्या में पशु हैं और पिछले कई सालों से इनकी सेवा कर रहे हैं। ऐसे समय में हरा चारा नहीं मिलने के चलते उनके पास कोई अन्य विकल्प भी नहीं है, जिसके सहारे वह प्रदेश से बाहर से चारा मंगवा सकते। इसी कारण प्रदेश में गोवंश के लिए यह खतरे की घंटी मानी जा रही है।
लॉकडाउन के चलते नहीं मिल रहा हरा चारा
वहीं बताया जा रहा है कि प्रदेश की कुछ गौशाला में दो-तीन दिन का ही स्टॉक बचा हुआ है, ऐसे में कहीं से सप्लाई नहीं आने के चलते पशुओं के लिए हरा चारा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। जिस कारण उनकी तरफ से सरकार को भी गुहार लगानी शुरू कर दी गई है। परंतु इस समय प्रदेश सरकार भी असहाय नजर आ रही है, क्योंकि साधनों की कमी होने के चलते गौशाला में हरा चारा पहुंचाने में दिक्कत का सामना सरकार को करना पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से हरे चारे की स्टॉक में आ रही लगातार गिरावट को देखते हुए सभी जिलों की गौशालाओं के प्रबंधकों की तरफ से हर संभव कोशिश करते हुए इस संकट को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। परंतु गौशाला प्रबंधकों के यह प्रयास लॉकडाउन में कामयाब होते नजर नहीं आ रहे हैं।
प्रदेश में 400 के करीब गौशाला रजिस्ट्रर्ड
हरियाणा में सरकार के पास लगभग 400 के करीब गौशाला रजिस्टर्ड हैं, जहां पर गोवंश की रक्षा करने के लिए काम किए जा रहे हैं। हालांकि समय-समय पर प्रदेश सरकार की तरफ से इन गौशालाओं को मदद की जाती रही है, परंतु इस समय चारा कहीं से नहीं मिलने के चलते इन 400 गौशाला में से ज्यादातर संकट के दौर से गुजर रहे हैं। इन रजिस्टर्ड गौशालाओं के प्रबंधक की तरफ से अपने नजदीक हरा चारा का इंतजाम करने की कोशिश की जा रही है, परंतु ज्यादातर रजिस्टर्ड गौशालाओं को चारा नहीं मिल पा रहा हैं।
दानी सज्जन भी बना रहे हैं दूरी
प्रदेश में गोवंश की रक्षा करने के लिए बड़े स्तर पर दानी सज्जनों का भी हाथ रहा है और ज्यादातर बड़े शहरों में दानी सज्जन दान देने के साथ-साथ रोजाना पशुओं को चारा खरीद कर डालने के लिए आते हैं, परंतु प्रदेश में करुणा के संकट के चलते दानी सज्जन भी अब दूरी बनाते नजर आ रहे हैं, जिस कारण गौशालाओं को आर्थिक मार भी पड़ रही है। इस समय में कारोबार बंद होने के चलते यह तक कारोबारी दान नहीं दे रहे हैं और हरा चारा डालने वाले भी आना बंद हो गया, इसी कारण लगभग सभी गौशालाओं की आर्थिक स्थिति भी डगमगा गई है।
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