प्रेरणास्त्रोत : दो चीटियों की बात
गुरु ने कहा- ऐसे व्यक्ति की अपनी सोच के अनुसार होता है। जो व्यक्ति जिस तरह का होता है, उसे सभी वैसे ही दिखाई देते है। फिर उन्होंने शिष्य को एक कहानी सुनाई। एक पर्वत पर दो चीटियाँ रहती थी। एक चींटी के पास शक्कर की खान थी और दुसरी चींटी के पास नमक की खान थी।
लैंगिक भेदभाव को मिटाने की चुनौती
स्त्रियों के अधिकार के प्रति हमारा समाज अब उतना रूढ़ नहीं रहा, जितना कछेक दशक पूर्व था। कुछ समस्याओं को छोड़ दें तो आज महिलाओं को आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं। स्त्री-शिक्षा के व्यापक प्रसार ने स्त्रियों को अपने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के समुचित अवसर प्रदान किया है और उन्हें रूढ़िवादी विचारों से काफी सीमा तक मुक्त भी किया है।
प्रेरणास्त्रोत: लोभ से विनाश
सूचना मिलने पर राजा पहुँचा और पुत्र का शव देखकर विलाप करने लगा। तभी वहाँ पहुँचे एक ऋषि ने स्मरण कराया अब कुछ होने का नहीं है। पुत्र की कामना का लोभ उत्तम था। वह लोभ होकर भी लोभ से परे था। तुमने उसमें अप्राकृतिक विधान जोड़ा और ऐसा विलक्षण पुत्र पाया जिसकी रक्षा कठिन हो गई।
प्रेरणास्त्रोत: श्रेष्ठता की कसौटी
अरबपति अपने घर में घुस गया और वहां व्यस्त हो गया और गरीब आदमी को भूल गया। सुबह उसे उस गरीब बूढ़े व्यक्ति की याद आई और वह उसे खोजने निकला लेकिन ठंड के कारण उसे मृत पाया, लेकिन उसने एक चिट्ठी छोड़ी थी, जिसमे लिखा था कि, "जब मेरे पास कोई गर्म कपड़े नहीं थे, तो मेरे पास ठंड से लड़ने की मानसिक शक्ति थी।
यह केवल एक जान है बेवकूफ!
इस संबंध में मंत्रियों के सम्मेलन और केन्द्र से निदेर्शों से काम नहीं चलेगा। लोग अब इन घिसी-पिटी बातों से ऊब गए हैं कि: घबराने की जरूरत नहीं। सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और स्थिति में सुधार हो रहा है।
प्रेरणास्त्रोत: एक ब्राह्मण की कथा
जिस धन के लिए मैंने जीतोड़ परिश्रम किया वह न तो धर्म-कर्म में लगा और न मेरे सुख भोग के काम ही आया। इस संसार सागर से पार होने के लिए वैराग्य एक नौका के समान है। अब मैं शेष बची हुई आयु से आत्म-लाभ लेकर अपना कल्याण करूँगा। वह ब्राह्मण मौनी-सन्यासी हो गया, वह अपना मन वश में करके पृथ्वी पर स्वतन्त्रता से विचरण करने लगा।
खतरनाक मोड़ पर मध्य-पूर्व का संकट
जहां एक ओर सऊदी अरब और इजरायल अमेरिका का साथ देगे वहीं ईरान के साथ सीरिया, यमन और लेबनान मोर्चें पर आ डटेंगे।
आशंका यह भी है कि युद्ध के दौरान ईरान और उसके समर्थित संगठन अमेरिका और इजरायल के खिलाफ बड़े हमले कर सकते हैं।
सीएए जैसे उपद्रवी मसलों पर न बनें फिल्में
मेरी हमेशा से कोशिश रही है कि मैं ऐसा करूं जिसमें जादुई छुअन हो। अपने काम के साथ न्याय कर सकूं।
आजकल आइटम गाना फिल्म का जरुरी हिस्सा बन गया है।
प्रेरणास्त्रोत: स्वामी का उपदेश
मुक्ति का अर्थ है संपूर्ण स्वाधीनता शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के बंधनों से छुटकारा पा जाना। इसे समझना जरा कठित है।
लोहे की जंजीर भी एक जंजीर है और सोने की जंजीर भी एक जंजीर ही है।
कोटा में बच्चों की मौत से जुड़े सवाल
वैसे भी नवजात बच्चों की मृत्यु के मामले में भारत की स्थिति बहुत चिंताजनक है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में बाल मृत्यु-दर की स्थिति भयावह है।
2015 में 2.5 करोड़ बच्चों ने जन्म लिया था
प्रेरणास्रोत : एक अंग्रेज ने कहा
एक दिन महात्मा बुद्ध घने जंगल में होकर कहीं जा रहे थे। दूर से अंगुलिमार ने उन्हें देख लिया। वह आनन-फानन में जा पहुँचा, उनके पास आकर बोला, ‘‘साधु, जो कुछ भी तुम्हारे पास हो, उसे निकाल दो अन्यथा तुम्हारी जान की खैर नहीं।’’
हिन्दू शरणार्थियों के नरकीय जीवन के दोषी कौन?
हम लगभग 73 साल इन भेड़ियों के बीच कैसे रहे हैं, हम किस प्रकार के उत्पीड़न झेले हैं, हम किस प्रकार से प्रताड़ित हुए हैं, हमारे लाखों भाई-बहनों को किस प्रकार से अपने धर्म से विमुख होने के लिए मजबूर किया गया, अपने धर्म से विमुख होने से इनकार करने पर किस तरह से अंग-भंग किया गया, अस्मिता लूटी गयी
प्रेरणास्त्रोत : चीन का राजा
वो अपना दु:ख लिखकर दूसरे दिन संत के पास पहुँचा। उसने अपने दु:ख का कागज, संत को दिया। संत के पास लोग अपने-अपने दु:खों के लिखे हुए कई कागज छोड़ गये थे। संत ने उस व्यक्ति से कहा, तुम अपना कागज रखकर कोई दूसरा कागज, जिसमें ‘‘दु:ख’’ कम हो, वो अपने साथ ले जाओ। उसने कई कागज पढ़ें पर उसे किसी का भी दु:ख समझ में नहीं आया।
बेनजीता रही मेड्रिड जलवायु वार्ता
आइपीसीसी के आंकलन के मुताबिक 21 सवीं सदी में पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में 1.1 से 2.9 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी होने की आशंका है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने वायु में मौजूद आॅक्सीजन और कार्बन डाईआॅक्साइड के अनुपात पर एक शोध में पाया है
प्रेरणास्त्रोत: गुरु नानक की करुणा
सेठ ने आश्चर्य का पार न रहा। हाथ जोड़कर बोला- ‘‘गुरुदेव! आप क्या कह रहे हैं?
परलोक में तो मनुष्य कुछ भी नहीं ले जा सकता। सब यहीं का यहीं धरा रह जाता है।’’