Haryana : अब फसल खरीद में मजदूर नहीं मशीनें करेंगी काम

Purchase of Food Grains

मामला: अनाज की सफाई और बोरियों में कम तोल संबंधी आ रही शिकायतें

  • 20 हजार से ज्यादा मजदूरों की रोजी-रोटी पर पड़ेगा असर
  • मंडी बोर्ड को जल्द आदेश दे सकती है हरियाणा सरकार
सच कहूँ/अश्वनी चावला चंडीगढ़। प्रदेश की मंडियों में अब लेबर का काम जल्द ही खत्म होने जा रहा है, क्योंकि खाद्य व आपूर्ति विभाग अब फसल की भराई से लेकर तुलाई व उठाई तक के सभी काम का मशीनीकरण करने जा रहा है। जिससे प्रदेश की अनाज मंडियों में काम करने वाले 20,000 से ज्यादा मजदूरों को भविष्य में काम नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें अपनी रोजी-रोटी के लिए कोई अन्य विकल्प ढूंढना पड़ेगा। प्रदेश सरकार मशीनीकरण के पीछे कई तरह के तर्क दे रहे हैं। वहीं सरकार इस फैसले पर बढ़ती दिख रही है। इसके लिए मंडी बोर्ड का सहारा लिया जा सकता है, क्योंकि मंडियों पर कंट्रोल मंडी बोर्ड का ही है, इसलिए मंडी बोर्ड के जरिये प्रदेश की सभी मंडियों का मशीनीकरण किया जाएगा। मशीनीकरण में मंडी बोर्ड पर कोई अतिरिक्त बोझ ना पड़े, इसके लिए प्रदेश सरकार पैसों का इंतजाम करके देने के लिए भी तैयार है।
जानकारी अनुसार प्रदेश की मंडियों में अभी तक 14 से ज्यादा फसलों की खरीद की जा रही है। उनमें से ज्यादातर खरीद धान और गेहूं की ही होती है, जिसमें लाखों मीट्रिक टन की खरीद होने के पश्चात उसकी सफाई तक करनी पड़ती है। दूसरे प्रदेश की तरह हरियाणा में फसल की सफाई का कार्य मशीनों की जगह हाथों से ही किया जा रहा है, बल्कि कई जगह पर तो सफाई की ही नहीं जाती है। ऐसे ही सीधे भराई कर दी जाती है। जिसको लेकर प्रदेश सरकार काफी समय से एतराज भी जता रही है। लेकिन इस मामले में कोई भी कार्यवाही नहीं होने के चलते अब प्रदेश सरकार ने यह फैसला लिया है कि प्रदेश में फसल खरीद के पश्चात हर कार्य अब मशीनीकरण से ही होगा। किसान जो भी फसल मंडी में लेकर आएगा, उसकी सफाई से लेकर तुलाई व बोरियों में भरने के साथ ही ट्रकों में भरने तक का काम मशीनों के जरिए ही किया जाएगा। इस मशीनीकरण से प्रदेश में 20,000 से ज्यादा लेबर को भविष्य में मंडियों में काम नहीं मिलने की आशंका जाहिर की जा रही है, क्योंकि अभी तक जिस कार्य को लेबर करती आई है, उसी कार्य को पूरी तरह से मशीनीकरण किया जा रहा है।

 

हमारे पास मशीनीकरण के अलावा नहीं विकल्प : पीके दास

खाद्य व आपूर्ति विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पी.के. दास ने कहा कि हमारे पास मशीनीकरण के अलावा कोई ज्यादा विकल्प नहीं है, क्योंकि अभी तक प्रदेश की मंडियों में फसल की खरीद के बाद उसको न ही ठीक ढंग से साफ किया जा रहा है और न ही उसकी भराई के समय माप तोल का ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कई जगह पर माप तोल करते समय अनाज बोरियों में कम पाया जा रहा है, ऐसे में नुकसान प्रदेश सरकार को उठाना पड़ता है, जिस कारण जब सारा कार्य ही मशीनीकरण के जरिए होगा तो किसी भी तरह की गलती रहने का मतलब ही पैदा नहीं होता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की मंडियों में धान व गेहूं की फसल को तो ठीक ढंग से साफ भी नहीं किया जाता है, जिसके कारण प्रदेश सरकार को परेशानी हो रही है।

मंडी बोर्ड लगाए मशीनरी, फसल की खरीद पर मिलेगा खर्च

एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पी.के. दास ने कहा कि मंडी बोर्ड को मशीनरी लगाने के लिए कहा जा सकता है, क्योंकि मंडियों का पूरा कंट्रोल मंडी बोर्ड के पास ही रहता है। उन्होंने कहा कि अगर मंडी बोर्ड पूरी तरह मशीनीकरण करता है तो फसल की खरीद के समय उसकी सफाई, माप तोल व उठान सहित सभी प्रक्रिया पर आने वाला सारा खर्च मंडी बोर्ड को दिया जाएगा, जो कि अभी तक लेबर को दिया जा रहा था।

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