सावधान! क्या आपको भी महसूस हो रहे हैं करंट के झटके

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लोगों के माथे पर खिंची चिंता की लकीरें

घरौंडा। (सच कहूँ न्यूज) कुछ दिनों से लोगों के साथ ऐसा हो रहा है जैसे ही वे किसी लोहे, एल्यूमीनियम या स्टील की वस्तुओं को छूते हैं, उन्हें करंट का झटका लगता है। यह झटका केवल मैटलबेस ही नहीं अपितु किसी भी अन्य वस्तु से लग सकता है। कुछ को तो दूसरे शख्स को छूने से भी करंट लग रहा है। सबसे ज्यादा समस्या कार की खिड़की बंद करते समय आ रही है। कईयों कोकार के शीशे से भी झटका लग रहा है। इस समस्या की पुष्टि वीरेंद्र धीमान, रेखा रानी, संजय शर्मा, सागर पांचाल, संतोष समालखा, धर्मेन्द्र कौशिक, नरेन्द्र, लव कुमार, गौरव धीमान, सुनील, मोनू, सोनू, सूरजभान कटारिया, प्रवीण, महिंद्र जांगड़ा, प्रवीण सिंह, विजय, स्वाति, मनोज, सुरेश, विक्रांत गुप्ता, सुभाष जांगड़ा, दीपक कल्याण, अंकित, विजय, दीपक, रुचि कालरा, पवन सौंटी, संदीप कुमार, सोनू, कालू पंडित, पवन, पंकज शर्मा, संजय राणा, मुनीष बसताडा, मनजीत पुनिया, दिनेश, जतिन, निकिता, सिमरन सहित सैकड़ों महिला व पुरुषों ने की है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि उनके पूरे परिवार के साथ ऐसा हो रहा है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें करंट का आभास पिछले कई सालों से हो रहा है।

मौसम विशेष में उनके साथ ऐसा घटित होता है। ऐसा क्यों हो रहा है, इसके बारे में विभिन्न लोगों के विभिन्न मत हैं। करंट लगने की इन घटनाओं के बारे में चंडीगढ़ के डॉक्टर श्याम शेख श्याम का कहना है कि 20 प्रतिशत इंसानों के साथ ऐसा होता है। सिंथेटिकया शुद्ध ऊनी कपड़े पहनने से शरीर में स्थिर बिजली पैदा होती है, जो किसी अन्य वस्तु की ओर बहती है। इससे करंट का आभास होता है। वहीं इस बारे में वी.के. सिहाग का कहना है कि जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉन का चार्ट शरीर में बढ़ता है, वैसे-वैसे यह व्यक्ति के स्किन पर इकट्ठा हो जाता है। यहां यह इतना ताकतवर हो जाता है कि किसी दूसरे इंसान या मेटल को छूते ही उसमें ट्रांसफर हो जाता है। इस दौरान ये चार्ज टच हो रहे दोनों प्वाइंट्स के बीच हवा को खत्म कर जंप करता है। जिससे कई बार हल्की चिंगारी भी देखने को मिलती है। इसी कारण से हमें जोरदार झटका महसूस होता है। सुमित बंसल का कहना है कि जब शरीर में यूरिक एसिड बढ़ता है तो ऐसा होता है।

करंट लगने की इन घटनाओं के बारे में सभी अपनी-अपनी तरह से व्याख्या कर रहे हैं

बहुत से लोगों का कहना है कि बदलते मौसम की वजह से ऐसा हो रहा है, जबकि गूगल से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोई भी एटम्स प्रोटोन, न्यूट्रॉन व इलेक्ट्रॉन से बना होता है। जब प्रोटॉन व इलेक्ट्रॉन डिसबैलेंस हो जाएं और इलेक्ट्रॉन ज्यादा हो जाएं तो करंट लगने की ये घटनाएं होती हैं। इन घटनाओं को आधुनिक तकनीक से जोड़कर भी देखा जा रहा है। फोर जी रेडिएशन के कारण ऐसा होना बताया जा रहा है। आने वाले समय में 5 जी तकनीक से यह समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है।

करंट लगने की इन घटनाओं से अनेक व्यक्ति इस तरह से विचलित हैं कि वे इसे कोरोना की तरह किसी अन्य वायरस के आ जाने का संकेत समझ बैठे हैं। कुछ लोगों को चिंता सता रही है कि कहीं ये सब घातक तो होने वाला नहीं है।

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