चंडीगढ़ (सच कहूँ/ अश्वनी चावला)। पंजाब के राजा अमरिन्द्र सिंह के राज में प्रजा दुखी है। अमरिन्द्र सिंह द्वारा शुरू की गई कैप्टन की चौपाल कार्यक्रम में न केवल ट्विटर पर शिकायतों की भरमार आई, बल्कि अमरिन्द्र सरकार को फेल सरकार तक भी कहा गया। प्रदेश के सामान्य वर्ग के लोगों से लेकर सरकारी कर्मचारी व युवा विद्यार्थियों से लेकर बेरोजगार युवाओं ने ‘कैप्टन की चौपाल’ के माध्यम से सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। हालांकि अमरिन्द्र सिंह ने सवालों के जवाब भी दिए, लेकिन अधिकतर तीखे सवालों को वहां मौजूद टीम को पेश नहीं करने दिया गया।
अमरिन्द्र सिंह की टीम ने ‘कैप्टन की चौपाल’ कार्यक्रम का ऐलान करते हुए प्रदेश की जनता को ट्विटर पर अपने सवाल ट्वीट करने के लिए एक दिन पहले कहा था। इस चौपाल की खबर प्रदेश की जनता के पास पहुंचने के बाद जनता ने जमकर ट्वीट किए। हालांकि टीम ने ट्वीट की गिनती जारी करने से साफ इंकार कर दिया लेकिन बताया जा रहा है कि हर 5 मिनट बाद एक ट्वीट आ रहा था। ‘कैप्टन की चौपाल’ हैशटैग से किए गए ट्वीट रविवार शाम तक आते रहे।
इन ट्वीट में पंजाब की आम जनता ने जहां प्राथमिक सुविधाएं नहीं मिलने की नाराजगी जताई तो कई आम लोगों ने पंजाब की ला एंड आर्डर की स्थिति पर सवाल उठाएं। यहां तक की सरकारी टेस्ट पास करने के बाद नौकरी के लिए नियुक्ति-पत्र का इंतजार कर रहे युवाओं ने भी सरकार पर जमकर निशाने साधे। युवाओं ने अपने स्मार्टफोन के बारे में भी अमरिन्द्र सिंह को पूछा कि आखिरकार उन्हें फोन कब मिलेंगे।
10 हजार से कैसे गुजारा होगा?
रोबिन गोयल ने पूछा है कि पंजाब सरकार द्वारा केवल बेसिक वेतन ही दिया जाता है। 10 हजार से एक युवक अपने परिवार का कैसे पालन-पोषण करेगा। उन्होंने सरकार के बेसिक वेतन देने वाली नीति पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री को कुछ करने के लिए कहा।
ला एंड आर्डर की स्थिति बिगड़ी?
गौरव शर्मा ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि प्रदेश में लॉ एंड आर्डर की स्थिति बिगड़ी हुई है लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री होते हुए वह कुछ कर क्यों नहीं रहे। पिछले 2 महीने में पांच से ज्यादा गैंगस्टरों ने कई लोगों की हत्याएं कर दी, क्या सरकार ने चूड़ियां पहनी हुई हैं?
कब मिलेंगे हमें नियुक्ति पत्र?
सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि साल 2015 में एसएसएस बोर्ड मोहाली ने क्लर्क भर्ती की थी, लेकिन नियुक्ति पत्र अब तक नहीं दिए गए। पिछले 4 सालों में पांच से ज्यादा बार हाईकोर्ट उनके हक में निर्णय दे चुका है, लेकिन एसएसएस बोर्ड नियुक्ति पत्र नहीं दे रहा, आप कुछ करते क्यों नहीं हो, क्या यह है घर-घर रोजगार?
पंचायत को बनाया ‘चौपाल’
मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित कैप्टन की चौपाल में गांव की पंचायत का जिक्र किया जा रहा था। अमरिन्द्र सिंह के साथ काम कर रही टीम हरियाणा से है या फिर उन्हें पंजाबी भाषा आती ही नहीं है। जिस कारण कार्यक्रम का नाम गांव की पंचायत या फिर कैप्टन की पंचायत रखने की बजाए कैप्टन की चौपाल रखकर ही काम चलाना पड़ा। खरड़ में हुए कार्यक्रम में हिंदी भाषा के शब्द का प्रयोग करने पर भी आपत्ति जताई।
हमारे पास फंड की कमी है, जल्द सभी वायदे पूरे करेंगे: मुख्यमंत्री
‘कैप्टन की चौपाल’ में अमरिन्द्र सिंह से विकास कार्यों से लेकर कर्ज माफी के सवाल पूछे गए तो उन्होंने सवालों का जवाब दिया कि उनके पास फंड की कमी है। आय के स्त्रोत भी ज्यादा नहीं हैं। जिस कारण वह अधिकतर वायदे पूरे नहीं कर पा रहे या फिर अधूरे चल रहे हैं। अमरिन्द्र सिंह ने यहां कहा कि वह हर संभव कोशिश करने में जुटे हुए हैं कि प्रदेश को खुशहाल बनाया जाए लेकिन फंड की कमी खलने लगती है। इसीलिए उनकी सरकार जल्द ही इन हालातों को ठीक करने की कोशिश करेगी। ]
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