कैनविन फाउंडेशन ने बच्चे के लिए फंड जुटाने की पुरजोर अपील
- इससे पहले भी अयांश नामक बच्चे को टीका लगवाने में मिली थी सफलता
- पत्रकार वार्ता करके बच्चे व उसके माता-पिता को मीडिया से कराया रूबरू
गुरुग्राम। (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा) स्वास्थ्य के क्षेत्र में आमजन को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने में अग्रणी संस्था कैनविन फाउंडेशन ने फिर एक ऐसे बच्चे के लिए 17.5 करोड़ रुपये का फंड जुटाने का गुरुग्राम समेत देश की जनता का आह्वान किया है कि बच्चे का जीवन बचाने को अपनी नेक कमाई से कुछ दान दें। पहले इस टीके की कीमत 16 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़ गई है। इससे पहले भी गुरुग्राम के अयांश नामक बच्चे को 16 करोड़ रुपये का टीका लगाने की मुहिम की शुरूआत की थी और सफलता मिली।
शुक्रवार को यहां न्यू रेलवे रोड स्थित कैनविन टावर में पत्रकार वार्ता में कहा कि नजफगढ़ के नंगली निवासी अमित एवं गरिमा का बेटा कनव जांगड़ा स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (एसएमए) नामक बीमारी से पीड़ित है। यह बीमारी एक तरह से माता-पिता से ही बच्चों में आती है। बीमारी जानलेवा भी है और बीमारी का उपचार भी महंगा है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी में बच्चे की दो साल की उम्र तक एक ही टीका लगाया जाता है। इस टीके की कीमत अब 17.5 करोड़ रुपये है। हालांकि वर्तमान में इसकी कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपये बढ़ चुकी है। डा. डीपी गोयल ने कहा कि क्राउड फंडिंग जुटाने वाली सोशल साइट इम्पेक्ट गुरू डॉट कॉम के माध्यम से यह रकम जुटाई जा रही है।
कैनविन फाउंडेशन के सह-संस्थापक नवीन गोयल ने भी आमजन से दान की अपील करते हुए कहा है कि कनव के माता-पिता की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इतनी बड़ी रकम का टीका खरीद सके। बच्चे के लिए दान की अपील करने के दौरान समाजसेवी गगन गोयल, बाली पंडित, विजय वर्मा, कर्म सिंह गिल, रामफल बंसल, जोगेंद्र कुमार आदि मौजूद रहे।
हर 5000 बच्चों में एक को एसएमए: डा. जैन
इस बीमारी को लेकर चाइल्ड न्यूरोलॉजिस्ट डा. राकेश जैन ने बताया कि यह बीमारी हर 5000 बच्चों में से एक को होती है। बीमारी का उपचार बच्चे की उम्र से दो साल के भीतर ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बेशक यह बीमारी गंभीर है, लेकिन इसका एक अच्छा प्वायंट है कि यह बच्चे के दिमाग को प्रभावित नहीं करती। सिर्फ मसल्स पर ही इसका प्रभाव पड़ता है और बच्चे का शारीरिक विकास नहीं हो पाता। वह बैठ नहीं पाता। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लिए अगर गर्भावस्था में ही पता चल जाए सही है। मात्र दो-तीन हजार रुपये में इसकी जांच की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि 17.5 करोड़ रुपये का टीका लगने के बाद भी दवा का असर धीरे-धीरे होता है। करीब दो साल में जाकर बच्चा शारीरिक रूप से स्वस्थ हो पाता है। सामाजिक कार्यकर्ता आशा गगन गोयल ने कहा कि हमारे देश में दानियों की कोई कमी नहीं है। धर्म-कर्म के नाम पर हम सब बहुत दान करते हैं। ऐसे बच्चों की बीमारी का उपचार कराने के लिए भी दानियों को आगे आना चाहिए, ताकि इनका जीवन बचाया जा सके। कनव के उपचार के लिए 100-100 रुपये का भी सहयोग देंगे तो भी इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
कनव के माता-पिता की भावुक अपील
बच्चे के माता-पिता अमित एवं गरिमा ने कनव का जीवन बचाने के लिए भावुक अपील करते हुए देशवासियों को दान देने का निवेदन किया है। उन्होंने बताया कि अभी तक क्राउड फंडिंग के जरिये 75 लाख रुपये इकट्ठे हो चुके हैं। इम्पेक्ट गुरू डॉट कॉम पर आॅनलाइन इसकी जांच भी की जा सकती है। जो भी कोई व्यक्ति डोनेशन करता है, उसका ब्यौरा इस पर उपलब्ध होता है। उन्होंने गुहार लगाई है कि कनव का जीवन बचाने के लिए अपनी नेक कमाई में से दान करें।