Repo Rate: नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। बाजार के विश्लेषकों का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में नीतिगत ब्याज दर (रेपो दर) को वर्तमान स्तर पर बनाए रख सकता है। खुदरा मुद्रास्फीति के आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो दर 6.5 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी के निर्णयों की घोषणा गुरुवार को करेंगे। एमपीसी की यह बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नयी सरकार का वर्ष 2024-25 के का पूर्ण बजट जुलाई में पेश कर दिया है और राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत तक सीमित रहने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष में यह 5.1 प्रतिशत रहा। नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, ‘एमपीसी बैठक से अपेक्षाओं पर परिप्रेक्ष्य इन मुद्रास्फीति जोखिमों को देखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई प्रमुख नीतिगत दरों को स्थिर रखेगा। उन्होंने एक संक्षिप्त अनुमान में कहा कि वर्तमान समय में, स्थिर ब्याज दर का माहौल और अर्थव्यवस्था पर मजबूत विकास परिदृश्य भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए अच्छा है।
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रिसर्च एनालिस्ट, कमोडिटीज एंड करेंसी, एमके ग्लोबल की जिंस और विदेशी विनिमय बाजार की अनुसंधानकर्ता सुश्री रिया सिंह ने कहा है कि उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के खतरे के कारण नीतिगत दर में कमी की संभावना अनिश्चित बनी हुई है। उनका कहना है कि आरबीआई रेपो दर में कटौती का विकल्प चुनता है तो यह कटौती 0.25 प्रतिशत हो सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) रिसर्च की अर्थव्यवस्था के बारे में एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यदि जीडीपी पूवार्नुमान से अधिक है, तो प्राकृतिक दर का अनुमान अधिक होगा.. इसका मतलब यह हो सकता है कि आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती का इंतजार लंबा हो सकता है….। वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी जो अनुमान से अधिक थी। आर्थिक समीक्षा 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 6.5-7.0 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। Repo Rate
गौरतलब है कि फरवरी 2024 में पेश बजट में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 5.9 प्रतिशत के बराबर निर्धारित किया गया था जो संशोधित बजट अनुमान में 5.5 प्रतिशत पर आ गया। आरबीआई द्वारा सरकार को पिछले वित्त वर्ष के लाभांश के रूप में 2.11 लाख करोड़ रुपये की प्राप्ति का राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को तेजी से नीचे लाने में बड़ा योगदान है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘प्रभावी रूप से, अगस्त 2024 की मौद्रिक नीति लगातार नौवीं नीति हो सकती है जब कि आरबीआई दरों के साथ छेड़छाड़ करने की संभावना नहीं है। नीतिगत ब्याज दर में स्थिरता बनाए रखने के कारणों की तलाश करना कोई बड़ी दूर की बात नहीं है। जीडीपी वृद्धि अभी मजबूत चल है और (खुदरा) मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है जो केंद्रीय बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से अभी एक प्रतिशत ऊपर है।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज का कहना है कि अमेरिकी मंदी की आशंकाओं के कारण आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति दरों के प्रक्षेपवक्र पर अपने बयान को थोड़ा अधिक सावधानी से तैयार कर सकता है। कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि वैश्विक घटनाओं को देखते हुए आवश्यकता पड़ने पर एमपीसी की द्वैमासिक बैठकों के बीच में भी नीतिगत दरों में संशोधन किया जा सकता है। भूराजनीतिक संकटों के कारण जिंस की कीमतों में अस्थिरता तथा उसके चलते आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं पर जोखिम बना हुआ है। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि भारत में मुद्रास्फीति इस समय मुख्य रूप से खाने पीने की वस्तुओं के चलते है और मानसून अच्छा रखने पर इसका दबाव कम हो सकता है।