पिछले दिनों घोषित जार्जिया के सीनेट इलेक्शन के नतीजों से पार्टी के भतीर ट्रंप की स्थिति मजबूत हुई है। यहां सीनेट चुनाव की कमान स्वयं ट्रंप ने अपने हाथ में ले रखी थी। सीनेट में रिपब्लिकन का बहुमत यह साबित करता है कि पार्टी के भीतर ट्रंप की किंगमेकर की स्थिति अभी बरकरार है। मुमकिन है कि वे 2024 में भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने।
अमेरिकी लोकतंत्र के गौरवशाली इतिहास का यह पहला मौका है, जब किसी राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) को अपने एक ही कार्यकाल में दूसरी बार महाभियोग का सामना करना पड़ रहा है। कैपिटल हिल की घटना के आरोपी ट्रंप पर महाभियोग का प्रस्ताव अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस आफ रिप्रेजंटेटिव (एचओआर) में 197 के मुकाबले 232 वोटों से पारित हो गया है। अब सीनेट इस पर सुनवाई करेगी। (Donald Trump)
अगर सीनेट इसे दो-तिहाई बहुमत से स्वीकार कर लेती है, तो ट्रंप को अपना पद छोड़ना होगा। इससे पहले दिसंबर 2019 में ट्रंप के खिलाफ एचओआर से महाभियोग पारित किया था उस वक्त उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी बाइडेन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार के दावों की जांच करवाने हेतू यूक्रेन के राष्ट्रपति पर दबाव डाला था। लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाले सीनेट ने फरवरी 2020 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था।
हालांकि सीनेट में अभी रिपब्किनस का ही दबदबा है, लेकिन इस बार एचओआर में रिपब्लिकन पार्टी के 10 सांसदों ने जिस तरह से बगावती तेवर अख्तियार करते हुए महाभियोग प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया है, उससे ट्रंप की चिंता बढ़ी हुई है। ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने पिछले दिनों अपने समर्थकों को उकसाकर संसद भवन पर हिसंक हमला करवाया था। हमले में एक पुलिसकर्मीे सहित पांच लोगों की मौत हो गयी थी। हालांकि, ट्रंप के कार्यकाल में अब केवल कुछ ही घंटे बाकी है। ऐसे में सवाल यह है कि सीनेट में क्या होगा। (Donald Trump)
क्या वहां प्रस्ताव पारित हो सकेगा या ट्रंप दूसरी बार भी महाभियोग से बच जाएंगे। अभी सीनेट की जो स्थिति है, उसे देखते हुए तो यही लगता है कि शायद वे दूसरी दफा भी बच निकले। 100 सदस्यों वाली सीनेट में प्रस्ताव के पारित होने के लिए 67 सांसदों का समर्थन चाहिए। फिलहाल 51 सीटे रिपब्लिकन के पास है। जबकि डेमोक्रेटस के पास 48 सीटे है, जिनमें दो निर्दलीय भी शामिल है। 1 सीट अभी खाली हैं। वर्तमान सदस्य संख्या के आधार पर प्रस्ताव के पारित होने के लिए 65 सदस्यों का समर्थन चाहिए। (Donald Trump)
डेमोक्रेटस के पास 48 सदस्य है। इसका अर्थ यह है कि अगर 17 रिपब्लिकन ट्रंप के खिलाफ जाकर वोट करे तभी प्रस्ताव पारित हो सकेगा। चूंकि नबंर गेम रिपब्लिकन के पक्ष में है, लिहाजा प्रस्ताव के पारित होने के आसार कम ही है। ऐसे में सवाल एक बार फिर यही उठता है कि स्पीकर नैंसी पेलोसी और दूसरे डेमोक्रेटस की इस जल्दबाजी का मतलब क्या है। लेकिन जिस तरह से निम्न सदन में 10 रिपब्लिकन सांसदों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है, उससे यह तो तय है कि ट्रंप को लेकर पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। (Donald Trump)
दरअसल, कुछ रिपब्लिकन व डेमोक्रेटस सांसदों का मानना है कि मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिकी लोकतंत्र के लिए खतरा बन गए हैं। इसलिए उनका जल्द से जल्द राष्ट्रपति पद से हटना अमेरिकी लोकतंत्र के हित में होगा। द्वितीय, अमेरिकी सांसद इस बात से भी चिंतित हैं कि कंही सनक मिजाजी ट्रंप अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए कोई ऐसा कदम न उठा बैठे जिससे कोई संवैधानिक संकट खड़ा हो जाए और दुनिया एक बार फिर अमेरिका पर हंसती दिखे, लिहाजा उन पर शिकंजा कसना जरूरी है। तीसरा, डेमोके्रटस के साथ-साथ रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी कुछ सांसद नहीं चाहते हंै कि ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति पद के लिए दोबारा उम्मीदवारी जताए।
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार अगर ट्रंप के विरूद्व महाभियोग का प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो वे दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए अयोग्य हो जाएंगे। महाभियोग की इस जल्दबाजी का एक बड़ा कारण उपराष्ट्रपति माइक पेंस का व्यवहार भी है। कैपिटल हिल की घटना के बाद प्रतिनिधि सभा की स्पीकर समेत अन्य कई सांसदों ने माइक पेंस से संविधान के 25 वें संशोधन का इस्तेमाल करते हुए ट्रंप को पद से हटाने की अपील की थी। लेकिन पेंस ने अपील को ठुकरा दिया था। (Donald Trump)
स्ांविधान का 25 वां संशोधन उपराष्ट्रपति को ये अधिकार देता है कि यदि राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का निर्वाहन करने में नाकाम रहता है, तो वो कैबिनेट की मंजूरी और सदन के दो-तिहाई बहुमत के साथ राष्ट्रपति को पद से हटाकर शासन सत्ता अपने हाथों में ले सकता है। पेंस के पास एक विकल्प यह भी है कि वो ट्रंप को पद से हटाकर खुद सत्ता अपने हाथ में ले लेवें और बाद में उन्हें माफी दे दें। रिचर्ड निक्सन को भी इसी तरह से माफी दी गई थी। उन्होंने महाभियोग प्रक्रिया के शुरू होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। (Donald Trump)
अमेरिका के भीतर विचारशील लोगों के एक बडे़ तबके का मानना है कि अगर ट्रंप पर महाभियोग पारित हुआ तो पहले से विभाजित अमेरिकी समाज के और अधिक विभाजित हो जाने का खतरा उत्पन्न हो जाएग। कैबिनेट निर्माण का अहम काम भी बाइडेन को करना है। केबिनेट मेंबर्स के नाम सिलेक्ट करने में वे पहले ही देरी कर चुके हैं । इसके लिए उनकी आलोचना भी हुई है। बाइडेन महाभियोग में उलझ गए तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, ऐसे में लगता तो यही है कि बाइडेन ट्रंप पर ट्रायल की बजाए कैबिनेट के अप्रूवल को तवज्जो देंगे। यदि सीनेट उन्हे दोषी मानते हुए प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा देती है, तो ट्रंप को बर्खास्त कर दिया जाएगा। (Donald Trump)
सबसे बड़ी बात यह है कि ट्रंप के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए अब केवल कुछ ही घंटों का समय बचा है। इतने कम समय में उनके खिलाफ ट्रायल का पूरा होना संभव नहीं हैं। लेकिन संवैधानिक प्रावधनों के अनुसार ट्रायल आयोजित करने की कोई समय सीमा नहीं हैं। ऐसे में कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है। रिचर्ड निक्सन ( वॉटरगेट कांड) ने प्रस्ताव पारित होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। लेकिन आज तक किसी भी राष्ट्रपति को संसद ने महाभियोग के जरिए अपनी कुर्सी से हटाने में सफलता नहीं पाई है, वर्तमान परिस्थितियों में संभावना इसी बात की दिखाई देती है कि शायद ट्रंप के साथ भी ऐसा ही कुछ हो। (Donald Trump)
-डॉ. एन.के. सोमानी