नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा विवाद में 15 जून की गलवान घाटी ने एक ऐसा मोड़ ला दिया जिसके बाद लगने लगा कि दोनों देश एक दूसरे से युद्ध के मुहाने पर आ खड़े हुए हैं। जंग अब हुई की तब हुई। भारत की जनता का मन अपने 20 जवानों की शहादत के बाद से आक्रोशित हो उठा वहीं भारत सरकार की तरफ से भी चीन को दो टूक कह दिया गया कि भारतीय सेना तैयार है वह किसी भी तरह की स्थिति से निपट लेगी। चीनी की मीडिया उस दिन के बाद से लगातार लेख और वीडियो के माध्यम से भारत को गीदड़ भभकी देने में लगे हुए हैं। लेकिन हकीकत उन्हें भी पता है कि क्या भारत के साथ चीन युद्ध का जोखिम ले सकता है। आप वहां के मीडिया के धूरंधरों से भी पूछेंगे तो आपको एक ही जवाब मिलेगा, नहीं। इसके पीछे के कई कारण हैं।
चीन पहले से ही अपने घरेलू मामलों पर संघर्ष कर रहा है। चीन अभी भी तिब्बत पर अपने दावों को वैध बनाने की लड़ाई लड़ रहा है। बाहरी मंगोलिया के दोबारा एकीकरण की भी वकालत कर रहा है। इसके अलावा, चीनी सैनिक शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के अभियोजन में लगे हुए हैं और कहा ये भी जा रहा है कि बीजिंग में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का भी खतरा है। क्या चीन इन सभी मोर्चों को छोड़कर भारत-चीन सीमा पर जा सकता है?
चीन-अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध कर रहा है। हालांकि आर्थिक रूप से युद्ध तो वो ऑस्ट्रेलिया के साथ भी लड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध में चीन को 2019 की पहली छमाही में 35 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। कंप्यूटर और ऑफिस मशीनरी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए क्षेत्रों में से थे। भारत से लड़ने का मतलब होगा कि भारतीय बाजारों से भी हाथ धो बैठना, और अकेले निर्यात से 74.72 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना।
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