6 हजार करोड़ रुपये के निवेश को भी मंजूरी (Lakshmi Vilas Bank)
नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने (Lakshmi Vilas Bank) लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड (एलवीबी) के डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) में विलय की योजना को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि दोनों बैंकों के विलय की यह योजना जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा और वित्तीय एवं बैंकिंग स्थिरता के हित में, बैंकिंग विनियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत आरबीआई के आवेदन पर बनाई गई है।
रिजर्व बैंक ने सरकार की सलाह से जमाकर्ताओं के हित की रक्षा के लिए 17 नवंबर को एलवीबी पर 30 दिन की अवधि के लिए मोरेटोरियम लगा दिया था और उसके निदेशक मंडल के ऊपर एक प्रशासक की नियुक्ति कर दी थी। जनता और हित धारकों से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करने के बाद, रिजर्व बैंक ने विलय की यह योजना तैयार की और उसे सरकार की मंजूरी के लिए पेश किया था। यह कार्य मोरेटोरियम की अवधि के समाप्त होने से काफी पहले कर लिया गया ताकि लागू मोरेटोरियम के कारण अपने धन की निकासी नहीं कर पाने की जमाकर्ताओं की परेशानी को कम किया जा सके।
इस योजना के मंजूर हो जाने के बाद एलवीबी का एक उचित तिथि पर डीबीआईएल के साथ विलय हो जाएगा और तब जमाकर्ताओं पर अपना धन निकालने को लेकर किसी भी तरह की रोक नहीं रहेगी। वहीं नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में 6,000 करोड़ रुपये के निवेश की कैबिनेट की ओर से बुधवार को मंजूरी दी गई। इस रकम का निवेश अगले दो साल में होगा।
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