मौत को मात देकर ‘नवीन’ ने जिंदगी बनाई ‘हसीन’

Salute Naveen

काबिले तारीफ। वो खुद दिव्यांग, फिर भी औरों को पैरों पर खड़ा करने का है जुनून (Naveen defeated death )

संजय मेहरा/सच कहूँ गुरुग्राम। तकदीर और मुकद्दर की बातें हमसे न करो दोस्तों, दुनिया तो उम्मीद पे कायम है और हम हौंसले पे…। अपने हौंसले के दम पर ही उसने मौत को मात दी और अपने जीवन को औरों के लिए प्रेरणा बनाकर लंबी लकीर खींच दी। (Naveen defeated death ) अब वह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक ऐसी पे्ररणा है, जो समाज के हर उस व्यक्ति को श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए गीता के संदेश की तरह उठकर लड़ने और चलने का हौंसला देती है, जो जीवन रूपी महाभारत की जंग के मैदान में धर्नुधारी अर्जुन की तरह हथियार डालकर बैठ जाते हैं।

  • वैसे तो यह सब उपमाएं और अलंकार कर्मयोगी नवीन गुलिया के कद के आगे बहुट छोटे हैं।
  • जोश के साथ जिंदगी जीने वाले वर्तमान में 46 साल के नवीन गुलिया का 11 जुलाई 1994 को मात्र 21 साल की उम्र में इंडियन मिलिट्री अकादमी (आईएमए) में चयन हुआ।
  • उनके पिता भी आर्मी आफिसर थे।

अपनी दुनिया अपना आशियाना संस्था से बेटियों को बना रहे सक्षम

अपनी दुनिया अपना आशियाना (अदा-एडीएए) नामक संस्था बनाकर बेटियों को आगे बढ़ाने वाले कर्मयोगी पूर्व आर्मी आॅफिसर नवीन गुलिया गुरुग्राम के सेक्टर-14 में अपने आवास पर सच कहूँ संवाददाता से विस्तृत बातचीत में अपने जीवन के हर एक पन्ने को खोलते चले गए।

  • जीवन की बाधाओं को वे बाधा नहीं, बल्कि मौका मानते हैं।
  • इसी बीच एक शेर सुनाते हुए वे कहते हैं-‘‘राह पे निकलोगे तो राह निकल ही आएगी दोस्तो, कि बैठे बिठाए मंजिलें मिला नहीं करती।
  • राह है कठिन बड़ी परिस्थिति विरुद्ध है, जीवन है यह युद्ध है, यह युद्ध है, यह युद्ध है।
  • नवीन गुलिया किसी भी परिस्थिति में संयम को सर्वोपरि मानते हैं।
  • कहते हैं कि कभी समय और दूरी को मत देखो।
  • अमिताभ बच्चन और उनके पिता हरिवंशराय बच्चन को एक क्षेत्र का वे गुरू मानते हैं।
  • अमिताभ बच्चन ने कौन बनेगा करोड़पति के करमवीर ऐपिसोड में उन्हें आमंत्रित किया था।
  • जहां दुनिया के सामने उनके ज़ज्बे को रखा गया।

29 अप्रैल 1995 को जिंदगी ने लिया यू-टर्न

बात है 29 अप्रैल 1995 को सेना में ही एक स्पर्धा में उन्हें ऊंचाई से गिरने पर ऐसी चोट लगी कि वो आज तक शारीरिक रूप से अपने पांव पर खड़े नहीं हो पाए हैं। दिल्ली के जिस अस्पताल में नवीन का जन्म हुआ था, उसी अस्पताल में उनको फिर से जीवनदान भी मिला। दो साल तक बिस्तर पर रहने के बाद अपने हौंसलों से वे न केवल उठे, बल्कि आज लाखों किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं। आज भी कमर के नीचे उनका शरीर सुन्न है। कोई अंग काम नहीं करता। उद्योगपति मुकेश अंबानी एवं नीता अंबानी, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, फिल्म अभिनेता आमिर खान समेत अनेक हस्तियों ने नवीन गुलिया से मिलकर उनके जज्बे को सेल्यूट किया है।

पत्नी दीपा के समर्पण को सेल्यूट

अपने वैवाहिक जीवन पर नवीन गुलिया कहते हैं कि सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी महाराष्ट्रीयन लड़की दीपा गोवेकर से मुलाकात हुई थी। एक ही मुलाकात में दोनों शादी करने का निर्णय ले चुके थे। शादी से पहले ही सेना में हादसे ने नवीन गुलिया को बेशक जीवनभर का दर्द दिया, लेकिन वह दर्द उनके रिश्ते को प्रभावित नहीं कर पाया। यानी दीपा गोवेकर ने नवीन गुलिया से दिव्यांगता के बावजूद शादी करके समाज को दिखा दिया कि शारीरिक दिव्यांगता रिश्तों पर भारी नहीं पड़ सकती। जबकि नवीन 100 प्रतिशत शारीरिक दिव्यांग हैं।

जहां बेटियों के नाम रखते थे माफी और काफी

नवीन गुलिया अपनी दुनिया अपना आशियाना (अदा-एडीएए) नामक संस्था बनाकर वंचित बेटियों को सक्षम बना रहे हैं। मूलरूप से झज्जर जिला के खेड़ी जाट गांव के रहने वाले नवीन गुलिया कहते हैं कि गांव में बेटियां अधिक होती थी तो लोगों ने बेटियों के नाम माफी, काफी, भतेरी आदि रखने शुरू कर दिए। माफी व काफी नाम की बेटियों के माता-पिता एक घटना में उनसे दूर हो गए। उन्होंने उनका भरण-पोषण करना शुरू किया। झज्जर जिला के ही बरहाना गांव में वे बच्चियों को शिक्षा में मदद करने के साथ बॉक्सिंग में निपुण बना रहे हैं।

  • 156 बेटियों को एक तरह से गोद लेकर बॉक्सिंग में प्रशिक्षित कर रहे हैं।
  • अपने मॉटिवेशनल लेक्चर्स से मिलने वाली धनराशि से वे इनका खर्चा उठाते हैं।
  • अपने गृह क्षेत्र के बादली में वे कन्या आश्रम बनाना चाहते हैं।
  • जहां बहुत ही ज्यादा जरूरतमंद बेटियों को वे रखकर उन्हें जीवन में कामयाब करेंगे।

दुर्गम पहाड़ी पर पहुंच बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

नवीन गुलिया ने अपनी 100 फीसदी शारीरिक दिव्यांगता को मात देकर एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है। राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट से मार्सिमिक ला चोटी की 18,632 फिट की ऊंचाई पर नॉन स्टॉप यानी बिना रुके वे 55 घंटे में पहुंचे। 10 सितम्बर 2004 की सुबह 3 बजे गाड़ी में सवार होकर इंडिया गेट से निकले और 12 सितम्बर 2004 की सुबह 10 बजे फिनिशिंग प्वाइंट पर पहुंचकर उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसके साथ ही लिम्का बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हो गया।

नवीन गुलिया ने तीन पुस्तकें-वीर उसको जानिए…

  • गांधी बनाम भगत ।
  • एक संत-एक सैनिक।
  • अंग्रेजी भाषा में इन क्वैस्ट आफ दा लास्ट विक्ट्री लिखी हैं।

नवीन गुलिया को मिले हैं ये सम्मान

  • वर्ष 2007 में राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा नेशनल रोल मॉडल अवार्ड से सम्मान
  • वर्ष 2012 में इंदिरा क्रांतिवीर पुरस्कार से सम्मान
  • वर्ष 2012 में मीडिया घराने द्वारा रीयल हीरो अवार्ड से सम्मान
  • वर्ष 2011 में कर्मवीर पुरस्कार से सम्मान
  • वर्ष 2010 में गोडफ्रे फिलिप्स द्वारा माइंड आफ स्टील अवार्ड से सम्मान
  • वर्ष 2009 में इंटरनेशनल कांफेडरेशन आफ एनजीओ द्वारा कर्मवीर चक्र से सम्मान
  • वर्ष 2006 में कैविनक्रे एबिलिटी मास्टरी अवार्ड से सम्मान
  • वर्ष 2005 में आर्मी चीफ द्वारा स्टाफ कॉमेंडेशन अवार्ड से सम्मान
  • वर्ष 2005 में एक मीडिया घराने द्वारा गलोबल इंडियन अवार्ड से सम्मान
  • वर्ष 2005 में लिम्का बुक द्वारा पीपुल आफ द ईयर अवार्ड से सम्मान
  • वर्ष 2004 में एडवेंचर स्पोर्ट्स में स्टेट अवार्ड से सम्मान
  • साप्ताहिक मैगजीन द्वारा पर्ल्स आफ इंडिया (भारत के मोती) सम्मान
  • इसके अलावा भी देश, राज्यों में अनेकों सम्मान नवीन गुलिया को मिले हैं।

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गांव में बच्चियों के साथ तिरंगा लहराते नवीन गुलिया।

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नवीन गुलिया को वर्ष 2007 में नेशनल रोल मॉडल अवार्ड देते राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम।

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गुरुग्राम के सेक्टर-14 स्थित अपने आवास में व्हील चेयर पर पूर्व आर्मी आफिसर नवीन गुलिया।

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