इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देता बजट

Discount on Electric Vehicle

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के प्रथम बजट में देश की प्रथम महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को नई सौगात देते हुए इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जीएसटी रेट 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है। इसके साथ ही अब इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए 1.50 लाख रुपये के लोन के ब्याज के कर में राहत मिलेगी। बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अगले तीन साल में सरकार फेम-2 के तहत इलेक्ट्रिक वाहन पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें इलेक्ट्रिक कार, हाइब्रिड कार, इलेक्ट्रिक बस, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और ई-रिक्शा शामिल हैं। फेम-2 स्कीम के तहत 15 लाख तक कीमत वाली 35,000 इलेक्ट्रिक कारों पर 1.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी।

गौरतलब है कि बजट की घोषणा से पहले गुरुवार को आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में बैटरी से चलने वाली गाड़ियों की संख्या कम है इसलिए इसके इस्तेमाल पर बढ़ावा देने पर जोर होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि फेम योजना के दूसरे चरण में आधुनिक बैटरी और पंजीकृत ई-वाहन की खरीद के लिए छूट दी जाएगी। फेम-2 स्कीम 1 अप्रैल, 2019 से शुरू हो गई है। सरकार की ओर से ई-वाहनों की खरीद और इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने की चार्जिंग पॉइंट लगाने पर रियायत दी जाएगी। नि:संदेह सरकार की इस घोषणा को बड़े स्तर पर आंका जाना चाहिए। भारत को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में सरकार का यह कदम कारगर सिद्ध होगा। आधुनिक समय में वायु प्रदूषण एक विकराल समस्या ही नहीं बन रही है बल्कि जानलेवा भी साबित हो रही है। ‘स्टेट आॅफ ग्लोबल एयर 2019’ की रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2017 में लगभग 12 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई है। प्रदूषित वायु की वजह से लोग स्ट्रोक, मधुमेह, हृदयाघात, फेफड़े के कैंसर के शिकार हुए हैं और इनसे मरने वालों की संख्या 50 लाख बताई जा रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 30 लाख मौतों का प्रत्यक्ष संबंध पीएम 2.5 से है। रिपोर्ट जारी करने वाली अमेरिकी संस्था ‘हेल्थ इफैक्ट्स इंस्टीट्यूट’ का कहना है कि भारत में स्वास्थ्य संबंधी खतरों से होने वाली मौतों का तीसरा सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण व धूम्रपान है।

दिनोंदिन विकराल होते वायु प्रदूषण के कारण दक्षिण एशिया में जन्म लेने वाले बच्चों का जीवन ढाई साल कम हो जाएगा तथा वैश्विक जीवन प्रत्याशा में 20 महीने की कमी आएगी। इंटरनेशनल काउंसिल आॅन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन, जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी आॅफ कोलोरैडो बॉल्डर के शोधार्थियों ने साल 2010 से 2015 के बीच वैश्विक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर सर्वे किया जिससे पता चला कि भारत में साल 2015 में वैश्विक स्तर पर लगभग 3 लाख 85 हजार मौतों की वजह वाहनों से निकलने वाला धुआं रहा। इस धुएं के कारण भारत में लगभग 74 हजार लोगों की जान गई। पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) और ओजोन उत्सर्जन की वजह से आठ लाख लोगों की मौत हुई। अकेले 2016 में चीन की सड़कों पर लगभग 80 हजार इलेक्ट्रिक बसें जोड़ी गई। दूसरी ओर नीदरलैंड ने ईवी खरीदारों को प्रोत्साहन प्रदान करके चार्जिंग अवसंरचना बनाने और चार्ज प्रौद्योगिकी में निवेश को प्रोत्साहित करने की एक सरल रणनीति का उपयोग करके ईवी बाजार पर कब्जा कर लिया है। आज इसके पास दुनिया में सबसे घनी चार्जिंग अवसंरचना है और इस प्रौद्योगिकी का वह एक प्रमुख निर्यातक है। अध्ययन बताते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों के सकारात्मक आर्थिक प्रभावों के कारण ही निरंतर विकास संभव है।

आज पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ती जा रही है। पेट्रोलियम पदार्थों का हम बड़ी मात्रा में आयात करते हैं और आयात से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी संचित विद्युत ऊर्जा का प्रयोग करते हैं और अपने परिचालन के दौरान खतरनाक गैसों का दहन नहीं करते हैं। इस वजह से वह शांत और प्रदूषण मुक्त कहलाते हैं। भारत दोपहिया और आॅटो-रिक्शा का सबसे बड़ा निमार्ता और निर्यातक है। नीति आयोग ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर रणनीति भी तैयार की है।इसके हिसाब से 150 सीसी से कम क्षमता वाले टू-व्हीलर्स की जगह 2025 तक इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स आ जाएंगे। इसी तरह 2025 तक ही थ्री व्हीलर्स भी इलेक्ट्रिक ही होंगे। लेकिन भारत वर्तमान में लिथियम-आयन (ली-आयन) बैटरी का उत्पादन नहीं करता है और बैटरी पैक बनाने वाली कंपनियां चीन से आयात पर लगभग निर्भर हैं। भारत में त्वरित इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को ‘मेक इन इंडिया’ लक्ष्य और घरेलू बैटरी उत्पादन से जोड़ा जाना चाहिए। बैटरी बनाने और वैकल्पिक तकनीकों की खोज में अनुसंधान और विकास के लिए निवेश की आवश्यकता है।

भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा आॅटोमोबाइल बाजार है, जहां 25 मिलियन से अधिक मोटर वाहन उत्पादित होते हैं। इस क्षेत्र में लगभग तीन करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने का अनुमान है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का 7.1 प्रतिशत है। इस उद्योग के 2026 तक वार्षिक राजस्व में 300 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है, जिससे 65 मिलियन अतिरिक्त रोजगार मिलेंगे और सकल घरेलू उत्पाद में 12 प्रतिशत से अधिक योगदान होगा।
-देवेन्द्रराज सुथार

 

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