सीबीआई को बड़ी सफलता हाथ लगी है
चूहे-बिल्ली जैसी दुश्मनी में उलझी सीबीआई को बड़ी सफलता हाथ लगी है (Broker Christian Michel James) । वह अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीद-सौदे के दलाल क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को दुबई से गिरफ्तार कर भारत ले आई है। मिशेल के प्रत्यर्पण की कोशिश लंबे समय से हो रही थी। हालांकि मिशेल की अपील पर दुबई की अदालत ने प्रत्यर्पण को रद्द कर दिया था। किंतु नरेंद्र मोदी की कूटनीति ने इसे मुकाम पर पहुंचाया। मिशेल के भारत आते ही मोदी इस सफलता को राजस्थान विधानसभा के चुनाव प्रचार में एक कारगर औजार के रूप में इस्तेमाल भी करने लग गए।
मोदी ने सुमेरपुर एवं दौसा की सभाओं में कहा भी कि हम अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले के एक राजदार को पकड़ लाए हैं, इससे पूरा परिवार कांप रहा है। अब राजदार मुंह खोलेगा, पता नहीं किसका नाम बोलेगा साफ है, भाजपा को राफेल मुद्दे को नेपथ्य में ले जाने और गांधी परिवार को घेरने के लिए एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है, वह इसे लोकसभा चुनाव में भी भुनाएगी। इस प्रत्यर्पण के होते ही भगौड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या की भी रूह कांप गई है। अब उसने लंदन से ऐलान किया है कि वह सभी बैंकों का शत-प्रतिशत मूल धन जमा करने को तैयार है। दरअसल इस प्रत्यर्पण की देखा-देखी यह लग रहा है कि निकट भविष्य में माल्या का भी प्रत्यर्पण हो जाएगा।
3600 करोड़ रुपए का सौदा हुआ
एंग्लो-इटैलियान कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से 12 हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए करार की बात 2010 में परवान चढ़ी थी। यूपीए सरकार ने फरवरी 2010 में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे अतिविशिष्ट लोगों के इस्तेमाल के लिए 12 हेलिकॉप्टर भारतीय वायुसेना के लिए खरीदने का फैसला लिया और 3600 करोड़ रुपए का सौदा हुआ। लेकिन 2013 में इस सौदे के एक बिचैलिए को पैसा खिलाने के आरोप में अगस्ता कंपनी के सीईओ ब्रूनो स्पागनोलिनी की गिरफ्तारी से इस मामले में गड़बड़ी की आशंकाएं सामने आने लग गई। जबकि इसकी सहयोगी, इटली की औद्योगिक कंपनी फिनमैकनिका के सीईओ ओरसी को इटली पुलिस ने इसी सौदे में 12 फरवरी 2010 में ही हिरासत में ले लिया था।
ब्रिटिश नागरिक व सलाहकार क्रिश्चियन मिशेल को बिचौलिया बनाया था।
फिनमैकनिका ने इस सौदे में ब्रिटिश नागरिक व सलाहकार क्रिश्चियन मिशेल को बिचौलिया बनाया था। कुल सौदे का 2.5 प्रतिशत कमीशन तय हुआ था। इसी सौदे में भारतीय वायुसेना के पूर्व अध्यक्ष एसपी त्यागी का नाम घोटाले में उछला। उनकी बाद में गिरफ्तारी भी हुई। फिलहाल वे जमानत पर हैं। इस घोटाले की जांच में सीबीआई को इटली में मौजूद बिचैलियों से जो दस्तावेज हाथ लगे थे, उन्हीं के आधार पर तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने हेलिकॉप्टर खरीद का अनुबंध रद्द कर दिया था। यही नहीं उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह बयान भी दिया था कि इस मामले में भ्रष्टाचार हुआ है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ‘कैग’ ने भी अपनी अंकेक्षण रिपोर्ट में इस सौदे में नियमों की अनदेखी करने की टीप लगाई थी। कैग ने सौदे में वास्तविक मूल्य से कहीं अधिक धनराशि भुगतान किए जाने का उल्लेख किया था। इस रिपोर्ट मे कैग ने 900 करोड़ रुपये की धांधली का अंदाजा लगाया था। लेकिन मनमोहन सिंह सरकार ने इसकी अनदेखी कर दी थी। यह अनदेखी किस अदृश्य शक्ति के इशारे पर की गई, यह जांच का विषय है। संभव है, मिशेल अब राजदारों के नाम उजागर कर दें ? इस सौदे में मिशेल को करीब 350 करोड़ रुपए दिए गए थे, जो भारतीय राजनेताओं और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को रिश्वत के रूप में दिए गए। मिशेल को संयुक्त अरब अमीरात ने फरवरी 2017 में गिरफ्तार किया था।
कार्रवाई आगे बढ़ाने की प्रक्रिया के दौरान एसपी त्यागी को रिश्वत दी गई थी।
इटली पुलिस ने सीबीआई को जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक अगस्ता वेस्टलैंड से हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए 3546 करोड़ के सौदे में 2004 से 2007 के बीच कार्रवाई आगे बढ़ाने की प्रक्रिया के दौरान एसपी त्यागी को रिश्वत दी गई थी। इस रिश्वत का लेनदेन त्यागी के चचेरे भाई संजीव कुमार त्यागी उर्फ जूली, संदीप त्यागी और डोक्सा त्यागी के माध्यम से हुआ था। ये सभी नाम इटली पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में शामिल हैं। त्यागी इन्हीं सालों में भारतीय वायुसेना के अध्यक्ष थे। हालांकि त्यागी ने इन आरोपों का खंडन इस आधार पर किया था कि मैं सेनाध्यक्ष के पद से 2007 में सेवानिवृत्त हो गया था, जबकि सौदे के अनुबंध पर हस्ताक्षर 2010 में हुए हैं।
भारत के पूर्व वायुसेना अध्यक्ष के परिवार ने तक दलालों से धन प्राप्त किया है।
लेकिन यहां गौरतलब है कि उन्हें कंपनी की मंशानुसार हेलिकॉप्टर खरीद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में दोषी पाया गया है। यदि उनकी भूमिका निर्लिप्त होती तो खरीद प्रक्रिया कंपनी की इच्छानुसार आगे नहीं बढ़ती ? बाद में सीबीआई द्वारा पूछताछ में त्यागी ने इटली जाना और कंपनी के सीईओ से मुलाकत की बात स्वीकार ली थी। उधर इटली की मिलान कोर्ट के जज मार्को मारिया मेगा ने अपने फैसले में कहा था कि फैसला उन दस्तावेजों के आधार पर दिया गया है, जिनमें इस बात की संभावना नजर आ रही थी कि भारत के पूर्व वायुसेना अध्यक्ष के परिवार ने अप्रैल 2012 तक दलालों से धन प्राप्त किया है।
दरअसल हेलिकॉप्टर के तकनीकी चयन में फेरबदल करने के लिए यह रिश्वत दी गई थी। इटली पुलिस के अनुसार हेलिकॉप्टर उड़ान की अधिकतम ऊंचाई क्षमता को बदलवाने के लिए कथित रिश्वत दी गई थी। अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा निर्मित हेलिकॉप्टरों की उड़ान क्षमता 15,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने की है। जबकि भारत 18,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने वाले हेलिकॉप्टर खरीदना चाहता था। जिससे हिमालय की कारगिल जैसी दुर्लभ पहाड़ियों पर पहुंचने में सुविधा हो। चूंकि अगस्ता वेस्टलैंड से कथित रुप से रिश्वत लेना तय हो गया था, इसलिए हेलिकॉप्टर द्वारा ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता को घटा दिया गया।
प्रमोद भार्गव
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