अपंगता भी न डुला सकी बृजपाल का हौसला (Khyowali Power Station)
कालांवाली / विनोद अरोडा। सरकारी महकमों में पर्यावरण संरक्षण के लिए थोड़े-थोड़े भी प्रयास किए जाए तो तस्वीर बदली जा सकती है। ऐसा ही उद्धारण उपमंडल के गांव ख्योवाली में देखने को मिला। जहॉ गांव के बृजपाल ने गांव में स्थित 33 केवी बिजलीघर की तस्वीर ही बदल डाली। फूल्लों की खुशबु से बिजलीघर में आने वाला कार्यरत कर्मचारी हो या ग्रामीण, यहां आकर स्वयं को तरोताजा महसूस करते है। बिजलीघर का पूरा परिसर फूल्लों की खुशबु से महक रहा है। पूरे परिसर में साफ-सफाई आंखों को लुभाने के साथ साथ मन-मस्तिष्क को सुकून पहुंचाते है।
यह सब संभव हो पाया है बिजलीघर इंचार्ज बृजपाल के प्रयासों से। करीब 51 वर्षीय बृजपाल एक हाथ से विकलांग है। वर्ष 2009 में बिजली का करंट लगने के कारण उनका एक हाथ काटना पड़ा था। भले ही शारीरिक रूप से उन्हें चोट पहुंचीं हो लेकिन उनके हौंसले आसमान को छूते है। उन्होंने अनेक बिजलीघरों में कार्य किया और अब ख्योवाली के बिजलीघर के इंचार्ज के रूप में कार्य कर रहे है। उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र को साफ-सुथरा रखने का बीड़ा उठाया। इसके बाद उन्होंने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेवारी समझते हुए पौधारोपण कि या। पौधा रोपण करने के साथ साथ पौधों की परवरिश का बीडा भी उठाया। उन्होंनें 200 से अधिक पौधे बिजली परिसर में रोपित किए।
इसके इलावा पूरे परिसर में फूलों के साथ-साथ फलों के पौधे भी लगाए जिन पर फल लगने शुरू हो चुके है। बृजपाल ने बताया कि पीपल और नीम जैसे वृक्ष लगाना चाहते थे, लेकिन उनके बड़े होकर बिजली की तारों से टकराने की नौबत आ जाती। इस लिए उन्होंने फूल व फलों वाले पौधे लगाने का निर्णय लिया क्योकि फूल व फलों वाले पौधो की उंचाई कम होती है। उन्होंने इस बाग की देखभाल के लिए अपने स्तर पर एक माली की भी व्यवस्था की है, जोकि पौधों की कटाई-छंटाई का कार्य करता है। ड्यूटी के बाद वे स्वयं जाकर पौधो की संभाल करते है। बृजपाल ने अपने प्रयासों से पूरे बिजलीघर का नजारा ही बदल डाला है। वे दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने हुए है ।
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