जीन्द (सच कहूँ/जसविंद्र)। Air Pollution: हरियाणा में दिन-ब-दिन प्रदूषण को लेकर हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सरकार और प्रशासन के प्रयासों के बावजूद भी वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। इन दिनों पराली जलाने सहित अन्य कारकों के चलते प्रदेश के अधिकत्तर जिले गैस चैंबर बने हुए हैं, जिसके चलते आमजन का दम घुट रहा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश का फतेहाबाद जिला देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार रहा, जहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 421 दर्ज किया गया। वहीं हिसार में एक्यूआई लेवल 403 रहा। इनके अलावा जीन्द में 384, सोनीपत में 381, कैथल में 377, फरीदाबाद में 374, गुरुग्राम में 364, भिवानी में 361, सरसा में 334, रोहतक में 326, पानीपत में 328, चरखी दादरी में 315 और कुरुक्षेत्र में 303 दर्ज किया गया। Haryana Air pollution
वहीं करनाल में करनाल 290 व पलवल जिले में 224 दर्ज किया गया। हालांकि थोड़ी राहत अंबाला और पंचकूला जिलों में मिली, जहां क्रमश वायु गुणवत्ता सूचकांक 188 और 117 दर्ज किया गया।
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कैसे प्रभावित करता है एक्यूआई स्तर
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।
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वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।