अंटार्कटिका में दिल्ली से 4 गुना बड़ा हिमखंड हुआ अलग

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वैश्विक समुद्री स्तर में होगी 10 सेमी. की बढ़ोतरी

  • वैज्ञानिक बोले-कार्बन उत्सर्जन बना कारण

नई दिल्ली (एजेंसी)। अंटार्कटिका में मौजूद आईसबर्ग (हिमचट्टान) लार्सेन सी का एक बहुत बड़ा हिस्सा टूट कर अलग हो गया है। 5800 वर्ग किलोमीटर के इस टुकड़े के आकार का अंदाजा हम इससे लगा सकते हैं कि ये राजधानी दिल्ली के आकार से 4 गुना तो गोवा से डेढ़ गुना बड़ा है।

लार्सेन सी अंटार्कटिका में मौजूद हिमचट्टानों में चौथी सबसे बड़ी हिमचट्टान है। इससे अलग हुए हिमखंड का वजन खरबों टन और इसे संभवत: हिमचट्टान से अलग हुआ अब तक का सबसे बड़ा खंड बताया जा रहा है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के अनुसार यह हिमखंड 10 से 12 जुलाई के बीच टूटकर अलग हुआ है। इसका नाम ए68 रखे जाने की संभावना है। इसका आकार बाली के इंडोनेशियाई द्वीप के बराबर हो सकता है।

हिमखंड टूटने का असर

इस घटना का दुनिया के पर्यावरण पर असर पड़ सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस हिमखंड के अलग होने से वैश्चिवक समुद्री स्तर में 10 सेमी. की बढ़ोतरी हो जाएगी। साथ ही इस महाद्वीप के पास से होकर जाने वाले जहाजों को भी दिक्कत आ सकती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार समुद्र स्तर पर इस हिमखंड के अलग होने से तुरंत प्रभाव तो नहीं आएगा लेकिन इससे लार्सेन सी हिमचट्टान का फैलाव 12 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। बता दें कि लार्सेन ‘ए’ और ‘बी’ हिमचट्टानें पहले ही ढह चुकी हैं।

टूटने का कारण

वैज्ञानिक इस हिमखंड के अलग होने का कारण कार्बन उत्सर्जन को बता रहे हैं। उनका कहना है कि कार्बन उत्सर्जन से वैश्विक तापमान बढ़ रहा है जिससे ग्लेशियर जल्दी पिघल रहे हैं। भारत पर इसके असर की बात करें तो अरब सागर पर इसका प्रभाव जल्द नहीं दिखेगा। लंबे समय बाद इसका असर हो सकता है। वहीं, समुद्री स्तर बढ़ने से अंडमान और निकोबार के कई टापू और बंगाल की खाड़ी में सुंदरवन के हिस्से डूब सकते हैं।

कहां जा रहा हिमखंड

शोधकर्ताओं के अनुसार यह हिमखंड कम समय में तेजी से नहीं बढ़ेगा। लेकिन इस पर निगरानी रखने की जरूरत है। इसके बारे में अभी कुछ निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता। इसके टुकड़े भी हो सकते हैं और यह एक ही टुकड़े में भी रह सकता है।

 

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