अंबाला कैंट में 14 फरवरी 1952 को हुआ था सुषमा का जन्म
- हरियाणा में हिंदी साहित्य सम्मेलन की चार साल अध्यक्ष भी रही
- मुद्दों को हमेशा जोर-शोर से उठाती थी सुषमा स्वराज
सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। सुषमा स्वराज। एक ऐसा नाम जिसने छात्र नेता के रूप में राजनीति में कदम रखा और प्रदेश, देश में मंत्री बनकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अपनी बातों को प्रमुखता से कहने का दम रखने वाली सुषमा स्वराज ने हरियाणा की राजनीति से निकल देश की राजनीति में प्रदेश का नाम रोशन किया। उनके बाद हरियाणा की राजनीति से कोई भी उनके जैसा दमदार खासकर महिला नेता देश की राजनीति में काबिज नहीं हो पाया है
कॉलेज के समय एबीवीपी से जुड़ी और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई। वर्ष 1977 में सुषमा स्वराज ने युवा नेता के रूप में हरियाणा की राजनीति में खुद को साबित किया और वे मात्र 25 साल की उम्र में चुनाव लड़कर हरियाणा में कैबिनेट मंत्री बनीं। इसके बाद वर्ष 1979 में उन्हें जनता पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उस समय उनकी उम्र 27 साल हो चुकी थी
उन्हें उनके हौंसले और आत्मविश्वास के बल पर जनता पार्टी ने अपनी प्रवक्ता बनाया। किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता का गौरव उन्हें हासिल है। यही नहीं, भारतीय जनता पार्टी में पहली महिला केंद्रीय मंत्री, महासचिव, प्रवक्ता, विपक्ष की नेता और विदेश मंत्री वे बनी। इसके साथ ही आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंट्रीयन अवार्ड हासिल करने वाली वे भारतीय पार्लियामेंट में पहली सांसद होने के साथ महिला सांसद थी। चार राज्यों में उन्होंने 11 बार चुनाव लड़े।
-
सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर
सुषमा स्वराज 1977 से 1982 तक हरियाणा विधानसभा की सदस्य यानी विधायक रही। 1977 से 1979 तक वे हरियाणा में लेबर एंड एम्पलॉयमेंट विभाग की कैबिनेट मंत्री रही। इसके बाद 1987 से 1990 में फिर उन्होंने चुनाव लड़ा और उन्हें शिक्षा, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की मंत्री बनाया गया।
इसके बाद उन्हें केंद्र की राजनीति में प्रवेश मिला और 1990 से 96 के बीच राज्य सभा सांसद चुनी गई। 1996 से 97 तक वे 11वीं लोकसभा में सांसद रही। इसी दौरान उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। 1998 से 99 के बीच वे फिर से सांद बनी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ टेलिकम्यूनिकेशन का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।
-
सुषमा स्वराज के भाषण के कायल थे लोग
करनाल की जनता उनके भाषण से इतनी प्रभावित थी कि दूर दराज से उनको सुनने आती थी। श्रीमती सुषमा-स्वराज ने करनाल लोकसभा से दो बार चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्होंने इन चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन जनता यहां की जनता में उनकी छवि आज भी बरकरार है। कई बार जनसभाओं में देखने को मिला था जैसे ही सुषमा स्वराज का भाषण खत्म होता था जनता उठ कर चली जाती थी। अन्य नेताओं को अपना भाषण जल्द खत्म करना पड़ता था। यह अलग बात है कि करनाल की जनता में उनके भाषण को सुनने को उत्सुकता दिखती थी लेकिन दो बार 1984 व 1989 में लोकसभा चुनाव लड़े दोनों बार हार का सामना करना पड़ा।