नयी दिल्ली। दिल्ली दंगों का सच अब एक किताब के रूप में सामने आ गया है और कल उसका राजधानी में लोकार्पण किया जा रहा है। इस किताब में दिल्ली दंगे की जांच एक निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग की गई है। उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी की रात हुए दंगे पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर यह किताब लॉकडाउन में तैयार की गई है । किताब में अल्पसंख्यक आयोग की पूरी रिपोर्ट हिंदी में प्रकाशित की गई है। इस किताब की भूमिका सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विजय सिंह सिंह ने लिखी है और संपादन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सम्पादक एवं पत्रकार पंकज चतुर्वेदी ने किया है। लोकमित्र प्रकाशन प्रकाशित इस किताब को तैयार करने में नौ अन्य पत्रकारों और कार्यकर्ताओं ने मदद की है।
सेवानिवृत पुलिसः अधिकारी सिंह ने किताब की भूमिका में लिखा है कि इस दंगे में कुल 751 अपराधिक मामले दर्ज किए गए थे और इन दंगों में 52 लोग मारे गए थे। इस दंगे में 473 लोग घायल हुए थे। इसके अलावा 185 घर बर्बाद हुए और 19 धर्मिक स्थल भी को नुकसान पहुंचाया गया था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने दंगे के सम्बंध में अल्पसंख्यक आयोग के किसी पत्र का उत्तर तक नहीं दिया। आयोग के जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिले में फरवरी में हुए दंगे सुनियोजित और संगठित लगते हैं। यह दंगे अल्पसंख्यक समुदाय को और निशाना बनाकर किए गए थे। आयोग ने सरकार और अदालत से अनुरोध किया था कि उच्च न्यायालय के किसी अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय जांच दल बनाकर इस दंगे की जांच की जाए।
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