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शरीरदानी लक्ष्मणदास कालड़ा इन्सां की पार्थिव देह को उनकी बेटियोंं, पुत्रवधूओं व पौतियों ने कंधा दिया
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पार्थिव देह को डिप्टी डायरैक्टर स्वास्थ्य विभाग व फार्मेसी अधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
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कालड़ा परिवार की तरफ से हुआ दूसरा शरीरदान
संगरूर। (सच कहूँ/नरेश कुमार) डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी न सिर्फ जीते जी बल्कि इस दुनिया से रूखस्त होने के बाद भी इन्सानियत के काम आते हैं। इसी क्रम में रविवार को ब्लॉक संंगरूर से लक्ष्मण दास कालड़ा इन्सां (80) पुत्र सावन राम निवासी संगरूर के मरणोपरांत उनकी पार्थिव देह मेडिकल रिसर्च के लिए दान की गई। ब्लॉक संगरूर में यह 18वां शरीरदान हुआ। शरीरदानी लक्ष्मण दास कालड़ा इन्सां ने पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए जीते जी मरणोपरांत शरीरदान करने का संकल्प पत्र भरा हुआ था। शरीरदानी लक्ष्मण दास कालड़ा इन्सां की पार्थिव देह को उनकी बेटियोंं, पुत्रवधूओं और पौतियों ने कंधा दिया।
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उल्लेखनीय है कि पूरा कालड़ा परिवार लम्बे समय से डेरा सच्चा सौदा के साथ जुड़ा हुआ है और परिवार में ही यह दूसरा शरीरदान है। इससे पहले उनकी पुत्रवधू शशि कालड़ा इन्सां पत्नी कृष्ण कालड़ा इन्सां का भी मरणोपरांत शरीरदान किया गया था। इसके अलावा ऐसे ही परिवार के सदस्य मोहित कालड़ा इन्सां मानवता भलाई के राह पर चलते हुए शहीद हो गए थे और सभी पारिवारिक सदस्य डेरा सच्चा सौदा के अनथक सेवादार हैं। लक्ष्मण दास कालड़ा इन्सां जो कि करीब 80 वर्ष के थे, ने डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से नाम-दान लिया था। बीती रात वे अपनी स्वांसों रूपी पूंजी पूर्ण कर कुल मालिक के चरणों में सचखंड जा विराजे।
जिम्मेवारोें ने बताया कि सचखंडवासी के पारिवारिक सदस्यों ने डेरा सच्चा सौदा की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए लक्ष्मण दास कालड़ा इन्सां का शरीरदान किया। उनकी पार्थिव देह मेडीकल रिसर्च के लिए उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद शहर में संतोष डैंटल कॉलेज को दान की गई। पार्थिव देह को रवाना करने से पहले एम्बूलैंस को फूलों से सजाया गया। उनकी पार्थिव देह को डॉ. मक्खन सिंह रिटा. डिप्टी डायरैक्टर स्वास्थ्य विभाग और फार्मेसी अधिकारी सुखविन्द्र बबला ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
डॉ. मक्खन सिंह ने कहा कि शरीरदान करना मानवता के लिए बहुत ही उत्तम कार्य है। डॉक्टर की नई पढ़ाई कर रहे नये डॉक्टरों को बीमारियों की खोज के लिए पार्थिव देह की जरूरत होती है, जिस पर रिसर्च कर 22 तरह के नए डॉक्टर तैयार होते हैं। उन्होंने डेरा सच्चा सौदा की प्रशंसा करते कहा कि डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई के कार्य जिनमें रक्तदान करना, गुर्दा दान, राशन बांटना, गरीबोंं को मकान बनाकर देना, बीमारों का इलाज करवाना सहित अन्य कार्य शामिल हैं। शरीरदानी लक्ष्मण दास कालड़ा इन्सां की पार्थिव देह को संगरूर शहर के बाजारों से होते हुए रवाना किया गया। इस दौरान लक्ष्मण दास कालड़ा इन्सां अमर रहे के नारे भी लगाए गए। इस मौके बड़ी संख्या में साध-संगत उपस्थित थी।
इस मौके 45 मैंबर हरिन्दर इन्सां, बलदेव कृष्ण इन्सां, सचिन खट्टर इन्सां राजनीतिक विंग स्टेट दिल्ली, 45 मैंबर कौशल्या रानी इन्सां दिल्ली, सरोज इन्सां, सुनीता कालड़ा इन्सां, दर्शना इन्सां, रणजीत इन्सां, ऊषा इन्सां, कमला इन्सां, निर्मला इन्सां के अलावा ब्लॉक संगरूर के 25 मैंबर, 15 मैंबर, ब्लॉक जिम्मेवार, ब्लॉक भंगीदास, सुजान बहनें, नौजवान समिती, बुजुर्ग समिति, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैलफेयर फोर्स विंग के सेवादार मौजूद थे। इस मौके उनके बेटे कृष्ण कालड़ा इन्सां, राजिन्दर कालड़ा इन्सां, विनोद कालड़ा और समूह कालड़ा परिवार उपस्थित था।
एक शरीरदान समाज को कई नए डॉक्टर दे रहा : लक्खा
कालड़ा परिवार के साथ दु:ख सांझा करने पहुंचे पंजाब गौ सेवा कमिशन के चेयरमैन अशोक कुमार सिंगला लक्खा ने कहा कि शरीरदान एक महान कार्य है। एक शरीरदान करने से देश को कई नए डॉक्टर मिलते हैं। नए विद्यार्थियों को रिसर्च करने में सहायता मिलती है। डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाई जा रही मरणोंपरांत शरीरदान मुहिम अति प्रशंसनीय है।
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