पानीपत। (सच कहूँ/सन्नी कथूरिया)। जीते जी तो सही लेकिन मरने के बाद भी कुछ ऐसा करके जाओ कि जिंदगी भर लोग आप को सलाम करते रहें। धन्य होते हैं ऐसे लोग जो जीते जी तो समाज सेवा करते ही हैं, साथ ही इस जहां से विदा होकर भी इन्सानियत की अनूठी मिसाल पेश कर दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाते हैं। इसी क्रम में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए जिला पानीपत के ब्लॉक काबड़ी एल्डिको निवासी कृष्ण कुमार वर्मा इन्सां के मरणोपरांत उनका पार्थिव शरीर दून आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज सहारनपुर (यूपी) को दान
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किया गया। जानकारी देते हुए ब्लॉक जिम्मेवारों ने बताया कि एल्डिको निवासी कृष्ण वर्मा इन्सां अपनी स्वांसों रूपी पूंजी पूरी कर कुल मालिक के चरण कमलों में सचखण्ड जा विराजे। उनकी अंतिम इच्छा अनुसार परिजनों ने आंखें दान और उनका पार्थिव श्रीर मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर एक मिसाल कायम की है।
पुष्प वर्षा कर व बहुओं ने कंधा देकर दी अंतिम श्रद्धांजलि
पत्नी चंद्रकांता इन्सां, पुत्र-पुत्रवधुओं, परिजनों के साथ शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैलफेयर फोर्स विंग के सेवादार भाई-बहनों, रिश्तेदार, साध-संगत ने उनके आवास पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए विनती का भजन बोलकर पार्थिव देह को अंतिम विदाई दी। पार्थिव देह को बेटों और बहु गीतिका और स्वेता ने कंधा दिया। दोनों बहुओं ने बताया कि हमें हमारे ससुर जी ने कभी भी बेटियों से कम नहीं समझा है बेटा बेटी एक समान है। साध-संगत ने ‘कृष्ण इन्सां अमर रहे.. जब तक सूरज चांद रहेगा कृष्ण इन्सां तेरा नाम रहेगा’ अंतिम यात्रा में नारे लगाए।
अपने पिता पर हमें गर्व
सच कहूँ संवाददाता से बातचीत करते हुए कृष्ण इन्सां के बेटे पुनीत वर्मा इन्सां ने बताया कि पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए पिता ने हमें हमेशा अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया है। आज उन्होंने शरीरदान करके पूरे समाज में मानवता भलाई की अलख जगाई है। उन्होंने पहले ही घर पर बोल रखा था कि अगर मेरी मिट्टी होती है तो मेरे शरीर को जलाकर राख ना किया जाए बल्कि मानवता भलाई के कार्य में समर्पित कर दिया जाए। उनके इस फैसले से हमें अपने आप पर गर्व है।
डेरा द्वारा चलाई जा रही शरीर दान की मुहिम सराहनीय
जन सेवा दल के सदस्य चमन लाल गुलाटी ने कहा कि बहुत ही गर्व की बात है कि कि आज लोगों की सोच बदल रही है। जीते जी तो लोग कई मानवता भलाई के कार्य कर रहे हैं लेकिन मरने के बाद आंखें दान व शरीर दान करना अपने आप में ही बहुत बड़ी बात है। आज कृष्ण वर्मा इन्सां की पार्थिव देह को संस्कार की बजाय मेडिकल साइंस की रिसर्च के लिए दून आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज सहारनपुर (यूपी) के लिए रवाना किया गया है जो लाइलाज बीमारियों की खोज के लिए बहुत बड़ा कदम है।
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