पार्थिव देह पर एफएच मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, आगरा, उत्तर प्रदेश के छात्र करेंगे शोध
- शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने दी अंतिम विदाई
सरसा। (सच कहूँ/सुनील वर्मा) कोई लंबी जिंदगी गुजार कर भी परोपकार नहीं कर पाता। लेकिन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए ब्लॉक कल्याण नगर निवासी 31 वर्षीय हरबंस सिंह इन्सां जाते-जाते ज्योति दान मुहिम के तहत दो अंधेरी जिंदगियों को रोशन कर और अमर सेवा के तहत देहदान कर महान सेवा कमा गया। उनके इस कार्य की लोगों द्वारा मुक्तकंठ से खूब प्रशंसा की जा रही है। हरबंस सिंह की मृत देह उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित एफएच मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को दान की गई है। वहीं उनके नेत्रदान शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल स्थित पूज्य माता करतार कौर इंटरनेशनल आई बैंक में दान की गई। दरअसल हरबंस सिंह इन्सां सोमवार को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके कुल मालिक के चरणों में सचखंड जा विराजा।
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उनके मरणोपरांत उनकी आखिरी ख्वाहिश को पूरा करते हुए उनके परिजनों ने ब्लॉक कल्याण नगर के जिम्मेवारों से संपर्क कर उनकी पार्थिव देह मेडिकल रिसर्च के लिए एफएच मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल आगरा (उत्तर प्रदेश) को दान कर दी। जहां मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भावी चिकित्सक विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के लिए शोध करेंगे। इसके अलावा ज्योति दान मुहिम के तहत उनकी आंखे दान की गई। शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल स्थित पूज्य माता करतार कौर इंटरनेशनल आई बैंक के चिकित्सकों की टीम ने उनके नेत्र उत्सर्जित किए। अब उनकी आंखे दो अंधेरी जिंदगियों में रोशनी भरने का काम करेगी।
बहनों ने दिया भाई की अर्थी को कंधा
इससे पूर्व सचखंडवासी के आवास प्रीत नगर गली नंबर 12 में उपस्थित साध-संगत, परिजनों व शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैलफेयर फोर्स विंग के सेवादार भाई-बहनों ने अरदास का शब्द बोलकर व इलाही नारा लगाकर मृत देह को फूलों से सजी एंबुलेंस में रखा गया और इसके पश्चात शाह मस्ताना जी धाम तक उनकी अंतिम शवयात्रा निकाली गई।
साथ में साध-संगत ने नेत्रदान महादान, शरीरदान-महादान, शरीरदानी हरबंस सिंह इन्सां अमर रहे के गगनभेदी नारे लगाए। बाद में एंबुलेंस को नम आंखों से मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना किया गया। वहीं अंतिम विदाई के समय बेटा-बेटी एक समान मुहिम को आगे बढ़ाते हुए सचखंडवासी की बहन कविता इन्सां व सुनीता इन्सां ने हरबंस सिंह इन्सां की अर्थी को कंधा दिया।
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