शरीरदानी चन्द्रकांता इन्सां का पार्थिव शरीर भी लगा मानवता के लेखे

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Body Donation: शरीरदानी चन्द्रकांता इन्सां के पार्थिव शरीर को मेडिकल रिसर्च के लिए रवाना करते सेवादार। तस्वीर: मेवा सिंह।

गांव सैयदांवाली की पहली व ब्लॉक खुईयां सरवर की बनी छठी शरीरदानी

खूईआं सरवर/अबोहर (सच कहूँ/मेवा सिंह)। Abohar News: सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए जहां डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु जीते-जी मानवता की सेवा कर रहे हैं, वहीं मरणोपरांत उनका पार्थिव शरीर भी मानवता के लिए दान किया जा रहा है। इसी कड़ी के तहत ब्लॉक खूईआं सरवर के गांव सैयदांवाली निवासी डेरा श्रद्धालु माता चन्द्रकांता इन्सां (74 ) पत्नी तारा चन्द के मरणोपरांत उनके पार्थिव शरीर को समूह परिजनों की सहमति से मेडिकल रिसर्च के लिए दान किया गया। सचखंडवासी चन्द्रकांता इन्सां कुछ समय बीमार चल रहीं थी, गतदिवस वह अपनी स्वासों रूपी पूंजी पूरी कर कुल मालिक के चरण कमलों में सचखंड जा बिराजीं। वहीं सचखंडवासी चन्द्रकांता इन्सां के पार्थिव शरीर को मेडिकल रिसर्च के लिए रवाना करते से पहले फूलों से सजी एम्बूलैंस में रखा गया। Body Donation

इसके बाद उनके बेटे हरीश कुमार इन्सां, बेटियां मंजू व पूनम ने अर्थी को कंधा दिया। शरीरदानी की अंतिम यात्रा दौरान समूह साध-संगत ने शरीरदानी चन्द्रकांता इन्सां अमर रहे, अमर रहे व जब तक सूरज चांद रहेगा, शरीरदानी चन्द्रकांता इन्सां आपका नाम रहेगा के नारे लगाए। इसके बाद परिजनों व समूह साध-संगत ने अरदास बोलते शरीरदानी चन्द्रकांता के पार्थिव शरीर को श्री सन्नतानपाल सिंह आर्युवैदिक मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, मिर्जापुर, जिला शाहजहानपुर, उत्तर प्रदेश को मेडिकल रिसर्च के लिए रवाना किया। इस मौके पंजाब के 85 मैंबर कृष्ण लाल जेई इन्सां, 85 मैंबर अशोक कुमार इन्सां, ब्लॉक प्रेमी सेवक लाभ चन्द इन्सां, दया राम इन्सां, प्रेमी सेवक गांव सैयदांवाली, गांव की कमेटी के 15 मैंबर, ब्लॉक के गांवों से पहुंचे प्रेमी सेवक, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर संगठन के सदस्य व समूह साध-संगत व गांव के गणमान्यजन मौजूद थे। Body Donation

गौरतलब है कि शरीरदानी चन्द्रकांता इन्सां गांव सैयदांवाली की पहली व ब्लॉक खूईआं सरवर की 6वीं शरीरदानी बनी हैं। वहीं समूह परिवार के साथ नगरवासियोंं, रिश्तेदारों, 85 मैंबरों व साध-संगत ने दुख जताया।

पार्थिव शरीर मेडिकल रिसर्च के लिए दान करना परिवार द्वारा बहुत ही प्रशंसनीय कदम है। क्योंकि जो बच्चे डॉक्टर बनना चाहते हैं, वह समाज में फैली ला-इलाज बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए मृतक शरीरों पर रिसर्च करते हैं। इसलिए पार्थिव शरीर को डॉक्टरी रिसर्च के लिए दान करना समाज के लिए एक बहुत ही अच्छा संकेत माना जा सकता है।
                                                                     डॉ: बिहारी लाल, निवासी सैयदांवाली, जिला फाजिल्का।

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