मैडिकल शोध के लिए किया शरीर दान

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अर्थी को कंधा देकर समाज में व्याप्त बेटा बेटी के भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया

गौरीवाला/खारियां (सच कहूँ न्यूज)। जीते जी रक्तदान तो मरणोंपरांत नेत्रदान व देहदान कर डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी समाज में मानवता की अनुकरणीय मिसाल पेश कर रहे है। इसी कड़ी में एक और नाम ब्लॉक दारेवाला के गांव मलिकपुरा के भंगीदास गुरजीत इन्सां की 85 वर्षिय माताजी सुखचरण कौर इन्सां का शामिल हो गया। पिछले कुछ दिनों से खराब स्वास्थ व वृद्धावस्था के चलते माता सुखचरण कौर इन्सां बुधवार को अपनी संवांसों रूपी पूंजी पूर्ण कर कुल मालिक के चरणों में जा बिराजी।

उनके पुत्र गुरजीत सिंह इन्सां (भंगीदास) ने बताया की उनकी माता ने अपने जीते जी मरणोपरांत शरीरदान का फार्म भरा था। इसलिए उनकी अंतिम इच्छा को पूर्ण करते तथा पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे 133 मानवता भलाई के कार्यों में से 13वें कार्य अमर सेवा (चिक्तिसा व शोध कार्यों के लिए मरणोंपरांत शरीरदान) के तहत उनका शरीर मैडिकल शोध के लिए आॅल इण्डिया इंस्टीट्यूट आॅफ मैडिकल सांईस ऋषिकेश (उतराखंड) को दान कर दिया।

इस मौके पर बेटा बेटी एक समान मुहिम को सार्थक करते हुए उनकी सुपौत्रियों सिमरजीत कौर इन्सां, जसविन्द्र कौर इन्सां, पुत्रियां मनप्रीत कौर इन्सां, जसवीर कौर इन्सां व अमनदीप कौर इन्सां ने माता की अर्थी को कंधा देकर समाज में व्याप्त बेटा बेटी के भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया। उन्होने अपने पूरे परिवार को पूज्य गुरूजी की प्रेरणानुसार इन्सानित की इस राह में लगाया तथा अपने परिवार को मानवता भलाई के हर कार्य में अग्रणी रखा।

उनकी अंतिम यात्रा के समय ब्लॉक भंगीदास केवल कृष्ण इन्सां ने परिजनों व साध संगत के साथ विनती भजन बोलकर व माता सुखचरण कौर इन्सां अमर रहे के नारे लागाकर पूरे सम्मान के साथ गांव के बाहर तक उन्हे विदा किया गया। इस अवसर पर उनके पुत्र गुरजीत सिंह इन्सां, लखवीर सिंह इन्सां, बलविंदर सिंह इन्सां, बलजीत सिंह इन्सां,15 मैम्बर इकबाल इन्सां व महेन्द्र इन्सां, डॉ़ हरमंदर सिंह इन्सां, खेता सिंह इन्सां, बनवारी लाल इन्सां, सुखदेव सिंह इन्सां, बलदेव इन्सां, दर्शन सिंह इन्सां, गुलजार सिंह इन्सां, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफैयर फोर्स विंग व अन्य सभी समितियों के सदस्य, परिजन, ग्रामिण तथा साथ साध संगत ने उन्हे सल्यूट कर चिक्तिसा शोध हेतू विदा किया।