पूज्य गुरूजी की शिक्षाओं व डेरा श्रदालुओं के सहयोग ने मेरे पिता को शादी कि चिंताओं से मुक्त करवाया: जसप्रीत कौर इन्सां
सच कहूँ/सुनील कुमार, खारियां। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा की समस्त साध-संगत निरंतर 138 मानवता भलाई के कार्य कर रही है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए ब्लॉक रामपुरथेड़ी-चक्कां की साध-संगत ने गांव करीवाला से एक अति जरूरतमंद परिवार की कन्या के विवाह (Blessing Campaign) में सहयोग कर इंसानियत का फर्ज अदा किया।
बता दें कि ब्लॉक रामपुर थेड़ी-चक्कां की साध-संगत ब्लॉक सहित आसपास के क्षेत्र में जरूरत पड़ने पर हर जरूरतमंद की सहयोग के लिए हमेशा अग्रणी रहती है।ब्लॉक के 15 मैंबर तार सिंह इन्सां ने बताया की जसप्रीत कौर सुपुत्री दर्शन सिंह अति जरूरतमंद परिवार से हैं। जिनके पास अपनी जमीन-जायदात व अच्छा व्यवसाय ना होने से परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है।
परिवार में बेटी जसप्रीत कौर की शादी की चिंता माता-पिता को सता रही थी। बेटी का रिश्ता अच्छे परिवार में हो गया तथा शादी का समय भी नजदीक आ गया। लेकिन माता-पिता के पास बेटी को देने के लिए स्त्रीधन के लिए कुछ भी उपलब्ध नहीं था। जिसकी सूचना 15 मैंबर तारसिंह इन्सां को मिली। इसके पश्चात ब्लॉक के जिम्मेवारों ने बेटी की शादी में सहयोग करने का निर्णय लिया और अपनी बेटी समझ कर सहयोग स्वरूप पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का पावन स्वरूप व 30 हजार रुपयों से लकड़ी का दिवान बेड, मेज व अलमारी इत्यादि सम्मान भेंट कर आर्थिक मदद की।
बेटी की शादी में किए गए इस सहयोग की चर्चा आसपास के सभी गांव में बनी हुई है। इस अवसर पर 15 मैंबर तार सिंह इन्सां, अमीरचंद इन्सां, बलविंदर इन्सां, भंगीदास छिमंदर सिंह इन्सां सहित बड़ी संख्या में परिजन व साध संगत मौजूद रहे। लड़की के पिता दर्शन सिंह ने कहा की यह सब कार्य पूज्य गुरु जी की दया दृष्टि से ही संभव हो पाया है। आज उनकी बदौलत ही मैं अपनी बेटी की शादी खुशी से कर पाऊंगा। जो बहुत ही काबिल-ए-तारीफ है।
इस अवसर पर बेटी जसप्रीत कौर ने पूज्य गुरु जी व साध संगत का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज मेरा मन उस समय हल्का हो गया है जब डेरा श्रद्धालु मेरे पिता की आर्थिक मदद करने हमारे घर पर शादी का सामान लेकर पहुंचे। उनके इस नि:स्वार्थ सहयोग (Blessing Campaign) ने मेरी शादी की खुशियों को पिता के बोझ तले दबने से बचा लिया। अन्यथा मेरी शादी की खुशियों से ज्यादा मुझे पिता के कर्ज की चिंता बनी रहती।
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