उदयपुर (सच कहूँ न्यूज)। देश में पहली बार और विश्व में तीसरी बार ल्यूसिस्टिक कॉमन किंगफिशर पक्षी की उदयपुर में साईटिंग के बाद अब संभाग के आदिवासी बहुल सागवाड़ा शहर के समीप काली गिलहरी दिखाई दी है। राजस्थान में अपनी तरह की पहली काली गिलहरी को खोजने, क्लिक करने और पुष्टि करने का श्रेय वागड़ नेचर क्लब सदस्य ख्यातनाम तितली विशेषज्ञ सागवाड़ा निवासी मुकेश पंवार को जाता है। पंवार ने बताया कि दुर्लभ मेलाविस्टिक फॉर्म में गिलहरियां तो दिखाई देती हैं परन्तु सामान्य गिहलरियों के बीच एक विशिष्ट गिलहरी है ‘काली गिलहरी’। उन्होंने बताया कि यह जीव पूर्णतया काले रंग में है, इसके शरीर के बाल, आंखे, पूंछ के बाल सभी कुछ एक जैसे काले रंग में हैं। दो अलग-अलग स्थानों पर दो काली गिलहरियां दिखाई दी हैं।
प्रथम दृष्टया तो इसे देखने पर गिलहरी जैसा कोई अन्य जीव लग रहा था परन्तु लगातार चार दिनों तक इसके व्यवहार को देखने पर मालूम हुआ कि यह सामान्य गिलहरियां ही है, सिर्फ रंग काला है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस एक मादा गिलहरी के साथ दो बच्चे अन्य सामान्य गिहलरियों जैसे ही हैं। ये पूर्ण वयस्क एवं स्वस्थ है। पादरड़ी बड़ी के सर्प विशेषज्ञ धर्मेन्द्र व्यास ने बताया कि सामान्यतया समस्त जीवों की त्वचा का रंग आनुवांशिक रूप से निर्धारित रहता है परन्तु लाखों में एक जीव मेलानिस्टिक (डार्क) फोर्म (गहरे या काले रंग) में हो सकता है। यह कोई रोग या आनुवांशिक नहीं भी हो सकता है।
जैव विविधता को सहेजने की तरफ ध्यान देना होगा
उन्होंने बताया कि उड़ीसा के जंगल में ब्लेक टाईगर तथा कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि में ब्लेक पेंथर दिख चुके हैं ठीक उसी तरह ये काली गिलहरियां भी सागवाड़ा क्षैत्र में दिखी हैं। इस दुर्लभ जीव की साईटिंग पर वागड़ नेचर क्लब के डॉ. कमलेश शर्मा, वीरेन्द्रसिंह बेड़सा, रुपेश भावसार, विनय दवे सहित अन्य सदस्यों सहित संभागभर के प्रकृति व पर्यावरण विशेषज्ञों ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि समृद्ध जैव विविधता के कारण वागड़-मेवाड़ अंचल दुर्लभ प्रजातियों के जीवों के लिए भी मुफिद दिखाई दे रहा है, ऐसे में काली गिलहरियों की साईटिंग के बाद एक बार पुन: हमें इस जैव विविधता को सहेजने की तरफ ध्यान देना होगा।
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