भाजपा के लिए आसान नहीं अमृतसर का किला फतेह करना

BJP

भाजपा टिकट देरी के कारण प्रचार करने में पिछड़ी

अमृतसर (सच कहूँ/राजन मान)। भारतीय जनता पार्टी ने अमृतसर में कमल खिलाने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री हरदीप पुरी पर (BJP) भरोसा जताया है। स्थानीय गुटबंदी को देखते हुए भाजपा हाईकमान ने पुरी को भेजना ही उचित समझा। इस सीट पर नवजोत सिंह सिद्धू जैसा जलवा दोहराना और लगातार दो हार का सिलसिला तोड़ना पुरी के लिए चुनौती होगी।
अब हरदीप पूरी की टक्कर कांग्रेस के महारथी गुरजीत सिंह औजला के साथ होगी। भाजपा अमृतसर सीट को लेकर आंतरिक रूप से घबराई हुई है, इसीलिए यहां प्रत्याशी की घोषणा करने में देरी हुई। भाजपा के लिए अमृतसर का किला फतेह करना एक कठित चुनौती होगी।

जानकारी के अनुसार भाजपा यहां ये किसी फिल्मी सितारे या खिलाड़ी को टिकट देने की तलाश में थी, लेकिन भाजपा कोई प्रत्याशी नहीं मिलने के बाद हरदीप पूरी के नाम पर मोहर लगी। बंता दें कि सिद्धू परिवार का इस सीट पर दबदबा है। पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा के अरूण जेतली को कांग्रेस के कैप्टन अमरिंद्र सिंह ने हरा दिया था। सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने के बाद यह सीट भाजपा के हाथ से निकल गई है।

शहरी क्षेत्र में भाजपाव ग्रामीण क्षेत्र में अकाली दल का वजूद

एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि प्रदेश में अभी तक भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है, जो कांग्रेस के उम्मीदवार को टक्कर दे सके। मजबूरन इस बार फिर भाजपा बाहरी उम्मीदवार को टिकट देकर दांव खेल रही है। पिछली बार भाजपा ने वरिष्ठ नेता अरूण जेतली को मिली हार के बाद अब भाजपा यहां फिर वही गलती को दोहरा रही है। भाजपा हमेशा ही अमृतसर सीट पर अकाली दल के दम पर लड़ती रही है। शहरी क्षेत्र में भाजपा का कुछ वजूद माना जा सकता है लेकिन यहां ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा को कोई पसंद नहीं करता। ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा अकाली दल के वोट बैंक पर निर्भर करती है।

इस बार अकाली दल की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं दिख रही कि वह भाजपा की नैय्या को किनारे लगा सके। यह तय है कि भाजपा को इस बार भी कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। भाजपा को बाहरी उम्मीदवार होने के नाते विपक्षी दलों के सवालों के जवाब देने चुनौतीपूर्ण होगा। सबसे बड़ी बात यह भी है कि सत्ता में कांग्रेस की सरकार है, जो सबसे बड़ी मुश्किल पैदा करेगी। 9 विधान सभा हलकों में एक एक हलके पर अकाली दल भाजपा उम्मीदवार विजेता है व बाकी 8 पर कांग्रेस का कब्जा है। यदि भाजपा किसी फिल्मी सितारे को मैदान में उतारती तो मुकाबला बन सकता था लेकिन अब भाजपा को सख्त मेहनत करनी पड़ेगी। भाजपा उम्मीदवार पहले ही चुनाव प्रचार में कांग्रेस व आप से पिछड़ चुके हैं।

औजला की पैंठ, लोगों के पसंदीदा भी बने

कांग्रेस पार्टी में कुछ नाराज नेताओं को लेकर गुरजीत सिंह औजला के घर सभी विधायकों व नेताओं का रात्रि भोज व बैठक कर सभी नाराज नेताओं के गिले शिकवे दूर किए गए थे। इस सीट पर शुरू से ही कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा है। सिद्धू ने ही आकर यह सीट कांग्रेस से छीनकर भाजपा की झोली में डाली थी और उसके पार्टी से चले जाने के बाद कांग्रेस गुरजीत सिंह औजला व भाजपा के उम्मीदवार रजिन्द्र मोहन सिंह छीना को बहुत बुरी तरह दो लाख के अंतर से हराया था। इस सीट पर लगभग 66 फीसदी सिख वोटर हैं, इसीलिए सिख होने के नाते हरदीप पूरी को टिकट दिया गया है।

कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार गुरजीत सिंह औजला ने बहुत कम समय में अपनी पकड़ बना ली है। सांसद होने के बावजूद वह गांव गांव व शहर में लोगों से मिलते रहते हैं। वह लोगों की समय समय पर मुश्किलें सरकार तक पहुंचाने के लिए कार्य करते रहे हैं। उनके द्वारा अमृतसर के हवाई अड्डे से कई अंतर्राष्टÑीय उड़ाने शुरू करवाई हैं। इस हलके से आप प्रत्याशी श्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने पिछले लंबे समय से इस हलके में मेहनत की जा रही है, लेकिन पार्टी के प्रति लोगों में इतना रूझान नहीं दिख रहा।

खल रही बड़े नेता की कमी

हैरानीजनक बात यह है कि भाजपा के पास प्रदेश में चुनाव प्रचार करने वाला भी कोई पंजाबी नेता नहीं है। दस साल पंजाब व पांच साल केन्द्र में रहने के बावजूद भाजपा किसी बड़े नेता की तैनाती यहां नहीं कर सकी, जो भाजपा के लिए सबसे बड़ी त्रासदी है। कांग्रेस पार्टी ने मौजूदा सांसद गुरजीत सिंह औजला को दोबारा मैदान में उतारा है, जिससे लोगों में खुशी का माहौल है। उधर आप ने कुलदीप सिंह धारीवाल को टिकट दिया है। कांग्रेस पार्टी ने पूरी तरह कमरकस ली है।

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