अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की जनता ने मुख्यमंत्री बनाया लेकिन वह तो प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखते हैं इसलिए दिल्ली की जनता से मिली जिम्मेदारियों को निभाने के प्रति उनका पूरा ध्यान ही नहीं है। केजरीवाल से यदि आपको मिलना है तो दिल्ली की बजाय गुजरात या हिमाचल प्रदेश जाकर मिलना होगा क्योंकि आजकल वह इन्हीं राज्यों में ज्यादा चुनाव प्रचार कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि केजरीवाल ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपने पास एक भी विभाग नहीं रखा है। उन्होंने अपने डिप्टी मनीष सिसोदिया को 18 विभागों की जिम्मेदारी सौंपी हुई है। केजरीवाल ने यह सब इसलिए किया है ताकि उनका ध्यान आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा करने में लगा रहे और दिल्ली की सफलता का ढिंढोरा पीट-पीट कर वह अपने प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को मजबूत कर सकें। बहरहाल, भाजपा की ओर से हाल ही में ऐलान कर दिया गया है कि 2024 में भी उनकी तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ही होंगे।
नरेंद्र मोदी के मुकाबले में कौन होगा यह कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल अभी तक तय नहीं कर पाये हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेताओं ने साफ कर दिया है कि 2024 का लोकसभा चुनाव मोदी बनाम केजरीवाल होगा। पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ऐलान किया कि 2024 का चुनाव भाजपा बनाम आम आदमी पार्टी होगा तो उसके दूसरे दिन दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दावा कर दिया कि 2024 का लोकसभा चुनाव मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बनाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होगा। जहां तक केजरीवाल और मोदी की भिड़ंत की बात है तो केजरीवाल 2014 में भी प्रधानमंत्री पद का ख्वाब देख रहे थे और इसीलिए उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद छोड़कर वाराणसी संसदीय क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा था। परिणाम क्या रहा यह सभी जानते हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभरने की चर्चा के बीच, उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने कहा है कि अगर अन्य दल चाहें तो नीतीश कुमार एक विकल्प हो सकते हैं। जद (यू) अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार का मुख्य ध्यान 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने पर है। यानि नीतीश अब पटना की बजाय दिल्ली पर पूरा ध्यान लगाना चाहते हैं। ऐसे में देश को तय करना होगा कि वापस खिचड़ी सरकारों के दौर में जाना है या फिर 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ काम कर रहे लोगों के साथ खड़ा रहना है।
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