बोले-रोजगार देने की बजाय छीनने पर आमादा
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‘पदक लाओ, पद पाओ’ नीति का बंटाधार करने का लगाया आरोप
चंडीगढ़ (सच कहूँ ब्यूरो)। एक तरफ सरकार संस्कार-संस्कृति और संस्कृत की बात करती है, दूसरी तरफ बिना कारण बताए पीजीटी संस्कृत की भर्ती को रद्द कर देती है। ये दोहरे मापदंड नहीं तो और क्या है? ये सवाल उठाया है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने। हुड्डा ने हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की तरफ से पीजीटी संस्कृत की भर्ती रद्द किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 626 पदों के लिए 2015 में शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया को पूरा होने के बाद अचानक से रद्द कर देना युवा प्रतिभाओं के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है। सरकार ने 5 साल से रोजगार का इंतजार कर रहे युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है।
जनवरी 2019 में इस भर्ती का फाइनल रिजल्ट आ चुका था। युवा ज्वाइनिंग का इंतजार कर रहे थे। लेकिन सरकार लगातार ज्वाइनिंग को लेकर टालमटोल करती रही। अभ्यार्थियों ने धरने, प्रदर्शन और भूख हड़ताल तक की। लेकिन, सरकार ने ज्वाइनिंग नहीं करवाई। हुड्डा ने कहा कि उनकी तरफ से भी बार-बार इन युवाओं को ज्वाइनिंग देने की मांग उठाई गई, लेकिन हर बार सरकार ने इस मांग को अनदेखा किया और अब इस भर्ती को ही रद्द कर दिया।
भूपेंद्र हुड्डा ने नसीहत देते हुए कहा कि सरकार का काम भर्तियां करना होता है, उन्हें रद्द करना नहीं। सरकार का काम युवाओं को रोजगार देना होता है, रोजगार छीनना नहीं। लेकिन बीजेपी-जेजेपी सरकार ने मानो रोजगार छीनने की मुहिम चला रखी है। पीजीटी संस्कृत से पहले ये सरकार 1983 पीटीआई, ड्राइंग टीचर्स और 1500 ग्रुप-डी स्पोर्ट्स कोटे के कर्मचारियों का रोजगार छीन चुकी है। सरकार नौकरियों में इजाफा करने की बजाय छंटनी करने में लगी हुई है। यही वजह है कि हरियाणा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर झेल रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार सिर्फ बेरोजगार ही नहीं खिलाड़ियों के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। खिलाड़ियों को रोजगार देने की बजाय लगातार खेल नीति में बदलाव किया जा रहा है। सरकार ने खेल नीति में नया बदलाव करते हुए अब फैसला लिया है कि पदक विजेता खिलाड़ियों को अब एससीएस और एचपीएस नहीं लगाया जाएगा। जबकि सच ये है कि बीजेपी सरकार पहले दिन से ही देश और प्रदेश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों की अनदेखी कर रही है। कांग्रेस सरकार में शुरू की गई ‘पदक लाओ, पद पाओ’ नीति का बीजेपी सरकार में पूरी तरह बंटाधार कर दिया गया और खिलाड़ियों को उनके हकों से वंचित रखा गया।
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