चुनावों के दौरान बेशक राजनीतिज्ञों की ब्यानबाज़ी का स्तर गिरता रहा है लेकिन इस बार के चुनावों में अब तक की स्तरहीन ब्यानबाज़ी सामने आई है। ऐसे में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सुभाष बराला मानते हैं कि भारतीय संस्कृति और लोकतंत्र में ऐसे ओच्छे ब्यानों की जगह नहीं होनी चाहिए। वे कहते हैं कि चुनाव आयोग को और सख्त कदम ऐसे मामलों में उठाने चाहिएं। वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा विपक्ष पर चुनाव चिह्न की माला बना कर गले में डालने वाले ब्यान को वे सामान्य ब्यान बताते हैं, इसमें उन्हें कुछ गलत नज़र नहीं आता। पेश है सुभाष बराला के साथ सच कहँॅू के चंडीगढ़ से ब्यूरो चीफ अनिल कक्कड़, हिसार से संदीप कंबोज और टोहाना से सुरेंद्र समैन के साथ खास बातचीत के अंश-
विपक्ष इस बात पर लगातार जोर दे रहा है कि भाजपा के पास हरियाणा में इस समय लोकसभा के लिए योग्य उम्मीदवारों की कमी है, इन आरोपों में कितनी सच्चाई है?
सुभाष बराला- कोई सच्चाई नहीं है। देखीए, हमने सबसे पहले उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। यहां तक की नामांकन तक करवा दिए हैं लेकिन अभी तक दूसरी पार्टियों के उम्मीदवार तक घोषित नहीं हुए।
प्रदेश में 4.5 साल से ज्यादा भाजपा सरकार को हो गए हैं, नौकरियों में पारदर्शिता के ऐजेंडे पर सरकार जनता के बीच वोट मांग रही है, लेकिन वायदा 2 लाख नौकरियों का था?
सुभाष बराला- हम 50 हजार नौकरियों के आधार पर वोट नहीं मांग रहे। जबकि हमने 66 हजार से ज्यादा नौकरियां प्रदेश में दी हैं। वहीं पूर्व की सरकारों में सड़कों पर उतरने वाले नौजवानों, जिनकी नौकरियों पर कानूनी अड़चने थीं, उन्हें भी रेग्यूलर हमारी सरकार ने किया है। गैस्ट टीचर्स की मांगों को स्वीकार किया गया है। कोर्ट में मामला होने के बावजूद हजारों लोगों का रोजगार स्थाई हो, ऐसे प्रयास भाजपा सरकार ने किए हैं। ऐसी कुल संख्या मिला ली जाए तो 1 लाख के करीबन हमने प्रदेश में लोगों को नौकरियां दी हैं। वहीं बाहरी पूंजी निवेश से जो प्रदेश में नौकरियों के अवसर पैदा हुए उसमें लाखों बेरोजगार नौजवानों को नौकरियां मिली हैं। विपक्ष के दावों में कोई सच्चाई नहीं है, हमने रोजगार दिए हैं जबकि पूर्व की सरकारों में केवल प्रलोभन दिए गए। सच्चाई ये है कि पूर्व की सरकारों में नौकरियां कुछेक नेताओं की जेब में होती थीं, और वो नेता कुछेक परिवारों के ही थे। जिसे वे आर्शीवाद देते थे उसे ही नौकरी मिलती थी, उन्हीं का ट्रांसफर होता था, उन्हीं का सीएलयू होता था, उन्हीं के लोगों के बीपीएल कार्ड बनते थे, उन्हें के लोगों को फसल का मुआवज़ा मिलता था वहीं आम जनता केवल मुंह ताकती रहती थी। लेकिन आज भारतीय जनता पार्टी ने सारी व्यवस्था को बदला है आज आम जन की सुनवाई है, गरीब व्यक्ति का लायक बच्चा आज बिना सिफारिश, रिश्वत के नौकरी कर सकता है, यह भाजपा सरकार में संभव हुआ है।
लोकसभा चुनावों का बिगुल बजने के साथ ही राजनेताओं की ब्यानबाज़ी का स्तर बिल्कुल गिर गया है, आज़म खान, नवजोत सिद्धू, मायावती, योगी आदित्यनाथ इसके उदाहरण है, चुनाव आयोग की धीमी कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं किधर जा रही है राजनीति?
सुभाष बराला- देखीए, पूरी दुनिया में सबसे स्वस्थ सांस्कृतिक व्यवस्था व लोकतांत्रिक व्यवस्था हमारे हिंदुस्तान की है। हिंदुस्तान की राजनीति से और राजनीतिज्ञों से दुनिया इस प्रकार के ओछे ब्यानों की उम्मीद नहीं करती। आज़म खान ने निहायत ही घटिया स्तर की ब्यानबाजी की है। ऐसी महिला को अपशब्द कहना जिसे वो अपनी बहन कहते थे यह ओच्छी राजनीति से ज्यादा कुछ नहीं है। वहीं चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाई है और मुझे लगता है कि आचार संहिता का यदि कोई भी उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग कदम उठाएगा।
हिसार लोकसभा सीट पर भाजपा बृजेंद्र सिंह नाम के नए चेहरे के साथ उतर रही है, लोगों से कैसा रिस्पांस मिल रहा है?
सुभाष बराला- देखीए, हिसार ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। बृजेंद्र सिंह के रूप में हिसार को एक अच्छा और पढ़ा-लिखा उम्मीदवार मिला है। उन्होंने लंबे समय तक देश की प्रशासनिक सेवाएं की हैं, उनका अनुभव हिसार के लिए बहुत काम का है। हिसार की जनता इन्हें 100 फीसदी यहां से जिताकर भेजेगी।
प्रदेश के राजनैतिक इतिहास में बहुत कम ऐसे आईएएस अफसर हैं जो राजनीति की मुख्यधारा में अपनी जगह बना पाए, पिछले चुनावों में युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने अपनी किस्मत आज़माई थी लेकिन हार गए, क्या भाजपा का दांव इस बार कामयाब होगा?
सुभाष बराला– निश्चित रूप से, बृजेंद्र सिंह की पृष्ठभूमि राजनैतिक परिवार की है और परिवार भी बहुत लंबे समय से राजनीति में है। चौधरी छोटूराम से लेकर अब तक की कड़ियां जोड़ लें तो परिवार की राजनैतिक क्षमता का अंदाजा सहज हो जाता है। इसलिए इन्हें राजनैतिक तर्जुबे के साथ-साथ प्रशासनिक कार्यांे में लंबा अनुभव है तो ऐसा उम्मीदवार हिसार के विकास के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इनकी माता प्रेमलता जी उचाना से विधाय हैं, पिता बीरेंद्र सिंह राज्यसभा के सांसद एवं केंद्र में मंत्री हैं, इस परिवार का राजनैतिक इतिहास बहुत बड़ा है ऐसे में अन्यों के मुकाबले बृजेंद्र सिंह जीत हासिल कर नया इतिहास बनाएंगे।
मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही में चुनाव चिन्ह की माला विपक्षी पार्टियों के गले में डालने का ब्यान दिया, आप क्या कहेंगे?
सुभाष बराला- यह एक सामान्य सी बात है और मुख्यमंत्री ने बिल्कुल सामान्य बात कही है।
हरियाणा में महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ा है लेकिन महिलाओं का चुनाव लड़ने का प्रतिशत घटा है क्या कहेंगे?
सुभाष बराला- यह बड़ी बात है। सभी राजनैतिक पार्टियों को अपने प्लैटफॉर्म पर यह सुनिश्चित करना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी इस बाबत जागरूक है। हमारी पार्टी की हर संगठनात्मक इकाई के लिए 33 फीसदी आरक्षण महिलाओं के लिए रखा गया है। वहां उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने के लिए पूरा मौका दिया जाता है। महिला वर्कर पार्टी की मजबूती के लिए पार्टी के मंच से काम कर रही हैं। ग्राउंड से काम कर आज बहुत सी महिला नेत्रियां राज्य और राष्टÑीय स्तर पर पार्टी की मजबूत कड़ी के रूप में काम कर रही हैं। केवल भाजपा नहीं मैं कहना चाहूंगा कि सभी दलों को इस प्रकार की प्रथा को अपनाना चाहिए। पार्टी संविधान में संशोधन कर इस प्रकार की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि महिलाओं को बराबर मौका मिले। लेकिन जहां तक चुनावी राजनीति की बात है यदि सभी दलों से महिलाएं आगे आती हैं तो सभी दलों को विचार करना होगा। नहीं तो चुनाव में जीत ही सबसे बड़ा मुद्दा होता है। यदि आपके पास अच्छी महिला कार्यकर्ता भी है लेकिन उसकी जीत की उम्मीदें कम हैं, तो टिकट देने में शायद पार्टी की मजबूरी हो जाए। हालांकि भाजपा ने केंद्रीय स्तर पर इस बाबत कोशिशें की थीं लेकिन विपक्ष का साथ नहीं मिला।
जजपा आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत कर रही है, भाजपा का आरक्षण पर क्या स्टैंड रहेगा?
सुभाष बराला– आपने अभी हाल के दिनों में देखा होगा कि भाजपा ने नौकरियों में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था का कानून लागू किया था। यह बहुत बड़ा कदम है। भाजपा ने आरक्षण जैसी पेचीदा व्यवस्था में इस प्रकार के कदम उठा कर बड़ा काम किया है। धीरे-धीरे आरक्षण व्यवस्था की कमियों को दूर किया जाएगा। वहीं जजपा की बात है तो यह प्रदेश स्तर पर इस प्रकार के कानून लाना संभव नहीं है यह तो संसद के स्तर की बात है। यदि वे कह रहे हैं कि जजपा आरक्षण लागू कर सकती तो वह प्रदेश की जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।
जींद उपचुनाव में जातीय समीकरणों के आधार पर चुनाव लड़ा गया, जाट वोटों का बंटाधार हुआ, क्या प्रदेश की राजनीति अब जातीय समीकरणों के आधार पर अगली सरकारें तय करेंगी?
सुभाष बराला- भारतीय जनता पार्टी जातिगत राजनीति में विश्वास नहीं करती। पंडित दीन दयाल उपाध्याय के मूल-मंत्रों पर चलती है जो हमेशा जात-बिरादरी से ऊपर उठ कर देश पहले की बात करते थे। भाजपा की सोच अंतोदय की है। जिसमें सबसे पहले गरीब का भला हो। भाजपा सभी को साथ लेकर, सभी के विकास की भावना में विश्वास करती है। हमारी पार्टी के उम्मीदवार भी बिरादरी को देख कर नहीं बल्कि विकास और सोच को देखकर तय किए जाते हैं, जो सभी को साथ लेकर चलते हैं।
प्रदेश में आपकी असल लड़ाई किससे है?
सुभाष बराला– देखीए, अभी तक तो मुझे लड़ाई दिखाई नहीं दे रही। आज दूसरे दल प्रदेश में अपने उम्मीदवार तक घोषित नहीं कर पाए हैं तो हम किसके साथ लड़ाई की बात करें। जनता भाजपा के साथ है।
भाजपा सरकार के वक्त कई बार हरियाणा जला, भाईचारा टूटने की भरपाई भाजपा कैसे कर रही है?
सुभाष बराला- सरकार की नीयत पर लोगों को कोई शक नहीं है। हमारी मंशा बिल्कुल साफ रही है कि किसी के साथ अन्याय न हो, सबके साथ न्याय हो। जैसा रोहतक में या प्रदेश के और स्थानों पर हुआ उसमें कुछ राजनैतिक दलों की मंशा किस प्रकार की थी वो लोगों के सामने भी आई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के खासमखास प्रो. वीरेंद्र का क्या रोल था सबके सामने आ गया। दीपेंद्र हुड्डा ने कैसी भड़काऊ भाषा बोली, माहौल कैसे खराब किया गया, जनता इन बातों को समझ चुकी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में भाईचारा कैसे बना रहे इस बात पर हमेशा बल दिया है। जनता इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के साथ है।
इनैलो में टूट का सबसे बड़ा फायदा किसे होगा, क्या भाजपा इसे प्लॅस प्वाइंट मान कर चल रही है?
सुभाष बराला– देखीए, भाजपा किसी की कमजोरी को आधार बना कर आगे नहीं बढ़ती। ये सच है कि फायदा तो भारतीय जनता पार्टी का हो रहा है। पार्टी की जड़ें प्रदेश में बहुत मजबूत हुई हैं लेकिन वो किसी दल की कमजोरी की वजह से नहीं हुर्इं वो पार्टी की विचारधारा, पार्टी के काम की वजह से हुई हैं। हमने बेरोजगार नौजवानों को मैरिट के आधार पर नौकरियां दी हैं, रोजगार दिया है। पहले जो प्रशासनिक व लोकतांत्रिक व्यवस्था कुछेक लोगों की मुट्ठी में बंद थी, उनकी जेब में थी, अब वह सही मायने में लोकतांत्रिक व्यवस्था बनी है अब लोगों का उस व्यवस्था से पीछा छूट गया है अब प्रदेश में सभी का समान तौर पर विकास हो रहा है। अगर भारतीय जनता पार्टी आज 10 की 10 सीटें जीतने वाली है तो इसी आधार पर जीतने वाली है किसी दल की कमजोरी पर नहीं।
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