Vertical Farming of Bitter Gourd:क्या आपको पता है कि करेले की खेती द्वारा आज के आधुनिक किसान मालामाल हो रहे हैं? बता दें कि किसानों की सफलता की यह कहानी, अब अन्य किसानों को भी करेले खी खेती की तरफ आकर्षित कर रही है। असल में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के किसान करेले की खेती से अच्छा लाभ कमा रहे हैं, लेकिन करेले की खेती से लाभ कमाने की सफलता कहानी की पटकथा के पीछे खेत को तैयार करने की महत्वपूर्ण भूमिका है, तो आईए जानते हैं कि करेले की खेती करने वाले किसानों की सक्सेस स्टोरी और उन्होंने किस तरीके से करेले के लिए खेत तैयार किए, जिससे वे करेले की खेती से मोटा पैसा कमा रहें हैं।
किसान ने खेत में जाल बनाकर की करेले की खेती | Bitter Gourd Farming
हरदोई जिले के किसान इन दिनों खेत में जाल बनाकर करेले की खेती कर रहे हैं, जिससे किसानों को करेले की खेती में लाखों का मुनाफा हो रहा हैं, हरदोई के ऐसे ही एक किसान संदीप वर्मा हैं, जो गांव विरुइजोर में रहते हैं, वह कई सालों से करेले की खेती करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया है कि उनके पिताजी भी सब्जियों की खेती किया करते थे, सब्जी की खेती गर्मी और बरसात के दिनों में काफी मुनाफा देती है और यह खेती हफ्ता 15 दिन में किसान की जेब में रुपए पहुंचाती रहती है।
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इस खेती से मुनाफा देखकर रिश्तेदारों ने किया करेले का उत्पादन | Bitter Gourd Farming
किसान संदीप वर्मा ने बताया कि करेले की फसल की अच्छी पैदावार के लिए 35 डिग्री तक का तापमान बेहतर माना जाता हैं, वहीं बीजों के गुणवत्तापूर्ण जमाव के लिए 30 डिग्री तक का तापमान अच्छा होता है। किसान ने बताया है कि उनकी करेले की इस खेती से कमाई को देखकर अब उनके रिश्तेदार भी करेले की फसल उगाने लगे हैं, जिससे उन्हें भी फायदा होने लगा हैं।
एक बेल से मिलते है 50 करेले, 1 एकड़ में 50 क्विंटल पैदावार
किसान संदीप वर्मा ने बताया कि वह आर्का हरित नामक करेले के बीज को करीब 2 सालों से बो रहे है, इस बीज से निकलने वाली प्रत्येक बेल में करीब 50 फल तक प्राप्त होते हैं। संदीप ने बताया कि आर्का हरित करेले के बीज से निकलने वाला करेला काफी लंबा और लगभग 100 ग्राम तक वजनी होता है। करेले की 1 एकड़ में लगभग 50 क्विंटल तक की अच्छी पैदावार इससे प्राप्त की जा सकती है। वहीं खास बात ये है कि इस करेला के फल में ज्यादा बीज नहीं पाए जाते हैं, जिससे इसे सब्जी के लिए बड़े शहरों में ज्यादा पंसद किया जाता है, किसान ने बताया कि गर्म वातावरण करेले की खेती के लिए काफी बेहतरीन माना गया है, खेत में अच्छे जल निकास की सुविधा के साथ इसे बलुई दोमट मिट्टी में आसानी से किया जा सकता हैं।
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इन दिनों करें करेले की बुवाई
करेले की बुवाई के लिए सबसे उचित समय बरसात के दिनों में मई-जून और सर्दियों में जनवरी-फरवरी माना जाता हैं, किसान ने बताया कि खेत की तैयारी करते समय खेत में गोबर की खाद डालने के बाद इसे कल्टीवेटर अच्छे तरीके से जुताई करके मिट्टी को भुरभरा बनाते हुए उसमें पाटा लगवा कर समतल कर लें, बुआई से पहले खेत में नालियां बना लें और इस चीज का विशेष ध्यान रखें कि खेत में जलभराव की स्थिति ना बने मिट्टी को समतल बनाते हुए खेत में दोनों तरफ की नाली बनाई जाती है, साथ ही खरपतवार को भी खेत से बाहर निकाल कर जला दिया जाता हैं, या फिर उसे गहरी मिट्टी में दबा दिया जाता हैं।
ऐसे करो बीजों की बुवाई
1 एकड़ जमीन में करेला की बुवाई के लिए लगभग 600 ग्राम बीज चाहिए होता है, करेले की बीजों की बुवाई करने के लिए 2 से 3 इंच की गहराई पर बोया जाता है, वहीं नाली से नाली की दूरी लगभग 2 मीटर और पौधों की दूरी लगभग 70 सेंटीमीटर होती हैं। बेल निकलने के बाद में मचान पर उसे सही तरीके से चढ़ा दिया जाता हैं, समय-समय पर करेले की पौध को रोग और कीट से बचाव के लिए किसान विशेषज्ञों से सलाह लेकर कीटनाशक का प्रयोग करें।
लागत का मिलता है 10 गुना मुनाफा
किसान ने बताया कि 1 एकड़ खेत में लगभग 30 हजार रुपये की लागत आ जाती है और अच्छे मुनाफे के साथ लगभग 3 लाख रुपए प्रति एकड़ का फायदा होता है। वहीं हरदोई के जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि जनपद में किसान करेले की खेती से काफी मुनाफा कमा रहे हैं, समय-समय पर किसानों को खेती के संबंध में अच्छी जानकारी दी जा रही है और साथ ही किसानों को अच्छे बीज और अनुदान भी दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसानों के खेतों में जाकर उनकी फसलों का निरीक्षण भी किया जा रहा है, जिससे उन्हें उचित खरपतवार और कीट नियंत्रण के संबंध में जानकारी दी जा रही है। सुरेश कुमार ने बताया कि हरदोई का करेला लखनऊ कानपुर, शाहजहांपुर के अलावा दिल्ली, मध्य प्रदेश और बिहार तक जा रहा है, जिससे किसान को उसकी करेले की फसल का वाजिब मूल्य प्राप्त हो रहा है।