आज कल उत्तर भारत तंदूर की तरह तप रहा है। भीषण गर्मी से लोग बेहाल हैं, विशेष तौर पर बच्चे ज्यादा बीमार पड़ रहे हैं। इसके अलावा भीषण गर्मी पक्षियों के लिए भी बड़ा खतरा बन रही है। पक्षी प्रकृति का केवल श्रंगार ही नहीं बल्कि प्रकृति का अहम हिस्सा भी हैं। दाने-पानी की कमी के कारण पक्षी मर जाते हैं। पक्षियों की कई प्रजातियां तो खत्म होने की कगार पर हैं। देशी चिड़िया (गोरैया) भी दुर्लभ हो गई है और इसे बचाने के लिए विशेष दिवस भी मनाया जाता है। इसी प्रकार सभी पक्षियों की भलाई के लिए राष्ट्रीय पक्षी दिवस पांच जनवरी को मनाया जाता है।
भीषण गर्मी में पक्षियों के बचाव के लिए पानी रखना बेहद आवश्यक है। घर की छतों और छाया वाले स्थानों पर मिट्टी के बर्तनों में पानी रखकर पक्षियों को बचाया जा सकता है। इस दिशा में डेरा सच्चा सौदा ने बड़ी मिसाल कायम की है। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से साध-संगत हर साल गर्मी के मौसम में पक्षियों के लिए पानी वाले कसोरे (परिंडे) रखती है और दाने का भी प्रबंध करती है। इस बार भी साध-संगत ने विशेष तौर पर अप्रैल माह में देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित नामचर्चाओं में पानी के कटोरे रखे हैं। भले ही हजारों की संख्या में कटोरे रखने की शुरूआत नामचर्चाओं से हुई है, लेकिन अपने-अपने घरों में करोड़ों की संख्या में साध-संगत यह कटोरे रखती है।
साध-संगत के ये भलाई कार्य पक्षियों के जीवन को बचाने में कारगर सिद्ध हो रहा है, क्योंकि यह कार्य पूरी लगन और बिना किसी दिखावे के जारी है। पक्षियों के प्रति लगाव मनुष्य को न केवल प्रकृति के साथ जोड़ता है बल्कि इससे दया भावना भी पैदा होती है, जो वास्तव में इंसानियत है। यह हमारे देश की संस्कृति है कि फसल की बिजाई के वक्त किसान परमात्मा से दुआ करता था कि किसी पक्षी के लिए मेरे खेत से फसल पैदा कर देना। पक्षियों के बिना भी इस दुनिया की रौणक अधूरी है। सरकारों को भी चाहिए कि पक्षियों की भलाई के लिए मुहिम चला रहे लोगों को उत्साहित करे और पक्षियों के लिए वृक्ष लगाना भी आवश्यक है। सड़कें बनाने के लिए जितने वृक्ष काटे जा रहे हैं सरकार को उससे ज्यादा नए वृक्ष लगाने चाहिए।
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