‘निर्जीव’ लगाते बचाने की गुहार; नहीं तो ऐसा शांत प्रलय होगा जो धरती से इंसान का नामोनिशां मिटा देगा

निकट भविष्य में और भी कई संदेश देने वाली कलाकृतियां होंगी स्थापित

गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। वेस्ट स्क्रैप से बनी चिड़िया, मधुमक्खी और छत्ता। (Waste Scrap Artifacts) गुरुग्राम शहर के अलग-अलग चौक पर ये विशालकाय कलाकृतियां भले ही निर्जीव हों, लेकिन इनके संदेश गहरे हैं। संदेश यह कि लुप्त हो रही इनकी प्रजातियों को बचाया जाए। हम भले ही इन्हें एक जीव मानते हों, लेकिन इनके जीवन से ही हमारा जीवन भी जुड़ा है। इसलिए इनका अस्तित्व बचाना भी खुद के बचाने जितना जरूरी है।

गुुरुग्राम शहर के खुशबू चौक पर व इफको चौक पर चिड़िया व मधुमक्खी की विशाल (Waste Scrap Artifacts) कलाकृतियां स्थापित की गई हैं। सोमवार को गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला ने इनका उद्घाटन करके इनसे संदेश लेने की प्रेरणा दी। खुशबू चौक पर स्थापित की गई लगभग 3000 किलोग्राम इंडस्ट्रियल स्क्रैप से बनाई गई विशायकाय चिड़िया अहसास दिलाएगी कि हमारे घरों में चहकने वाली नन्हीं चिड़िया मोबाइल टावरों से निकलने वाली तंरगों के चलते अब विलुप्त होने की कगार पर है। जिसे बचाने की खामोश गुहार हमें सुनाई दे, यह जरूरी है। इसी तरह से इफको चौक पर इंडस्ट्रियल वेस्ट से बनाया गया लगभग 4000 किलो का छत्ता और एक टन वजनी मधु स्थापित की गई है।

मधुमक्खी का भी संदेश है कि इंसान को खुद के भविष्य के लिए उन्हें भी बचाना होगा। अगर मधुमक्खियां ना रहीं तो ऐसा शांत प्रलय होगा जो धरती से इंसान का नामोनिशां मिटा देगा। ऐसे में खुद को बचाने के लिए हमें इन मधुमक्खियों की रक्षा करनी होगी। अपने सुरक्षित कल के लिए हमें इन्हें बेहतर आज देना होगा। पर्यावरण का संरक्षण और संतुलन करना होगा।

16 कलाकारों ने कड़ी मेहनत से बनाई कलाकृतियां

देश के विभिन्न राज्यों से चयनित किए गए 16 युवा कलाकारों ने इन स्कलप्चर को साकार रूप दिया। चिड़िया वाले  स्कलप्चर को रबिंद्रा भारती यूनिवर्सिटी पश्चिम बंगाल से अक्षय मायती, रंजय सरकार और पिंटु दास और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय बालाघाट मध्यप्रदेश से रानी ने बनाया है।

वन अर्थ स्कलप्चर को जामिया-मिलिया विश्वविद्यालय के राजेश सिंह, नागालैंड के गवर्नमेंट कॉलेज आॅफ आर्ट एंड क्राफ्ट से तत्सिमु त्रखा, बिहार के विश्वा भारती विश्वविद्यालय से आदित्य प्रकाश और पश्चिम बंगाल से थिन्ले डोलमा गुरुंग ने साकार रूप दिया है। मधुमक्खी और छत्ते को झारखंड के दियोघर की कलाभवन विश्वभारती यूनिवर्सिटी से राज चक्रबोर्ती, हरियाणा की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से कमलजीत, सुशांत स्कूल आॅफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर से नलिनी सिंह, जामिया-मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से इक्रा नियाज ने बेहतर आकार दिया है।

भविष्य में नजर आएगा पृथ्वी बचाता हाथ

निकट भविष्य में गुरुग्राम में एआईटी चौक पर इंडस्ट्रियल वेस्ट से बना 22 फुट का हाथ भी नजर आएगा। इस हाथ ने धरती को उठा रखा होगा। उसे सहारा देते दो अन्य हाथ यह संदेश देंगे कि हमारे पास एक ही पृथ्वी है। उसे हमें बचाना है। पृथ्वी बचाने के लिए हमें पर्यावरण सही रखना है। पानी की बचत करनी है। इसी तरह से हुडा चौक पर प्लास्टिक वेस्ट से बनाया जा रहा जी20 का स्कलप्चर भी लगाया जाएगा, जो वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश देने के साथ-साथ धरती को प्लास्टिक मुक्त बनाने की पुकार करने का माध्यम होगा।

राजीव चौक पर साइकिल व साइकिलिस्ट स्थापित किया जाएगा। वह हम सबके लिए संदेश होगा कि जितना हो सके खुद को स्वस्थ रखें। साइकिलिंग से स्वस्थ रहा जा सकता है। इससे सड़कों पर कम ट्रैफिक होगा। प्राकृतिक संसाधन जैसे डीजल, पेट्रोल की खपत पर भी नियंत्रण होगा। इनसे होने वाले प्रदूषण पर कहीं तो लगाम लगेगी।

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