धर्मान्धता घातक

Bigotry is fatal
भारत में करोना से पीड़ित लोगों में 30 प्रतिशत लोग एक धर्म विशेष के ही है। भले ही अक्सर ये कहा जाता है कि जीवन-मरण ऊपरवाले के हाथ है, लेकिन बहुत से धर्मान्ध लोग अपना सब कुछ उसके सहारे छोड़ देते हैं। लेकिन वो यह भूल जाते हैं कि वही धर्म यह भी कहते हैं कि मनुष्य ईश्वर की बेहतरीन व सर्वश्रेष्ठ रचना है। मनुष्य को ईश्वर ने बुद्धि दी है, जिससे वह अपना अच्छा-बुरा पहचान लेता है। इधर कोरोना महामारी को लेकर जब से देश में लॉकडाउन लगाया गया है, एक खास वर्ग के लोग ईश्वर आराधना के नाम पर उस लॉकडाउन को बार-बार तोड़ रहे हैं। शायद वो सोचते हैं कि ईश्वर के हाथ ही सब कुछ है, जबकि यह पूरा सच नहीं, पूरा सच यह है कि ईश्वर ने मनुष्य के हाथों में बहुत कुछ सौंपा हुआ है।
अज्ञानता वश लोग धर्म के नाम पर अपना व दूसरों का अहित कर रहे हैं। कन्नौज में सामाजिक सुरक्षा में मुस्तैद पुलिस को इसलिए हिंसा का शिकार होना पड़ा क्योंकि कुछ लोग धर्म के विश्वास के नाम पर एकदम अंधे व जाहिल हुए पड़े हैं। ईश्वर ने उनको बुद्धि दी है तो उन्होंने हिकमत व शिफा को इजाद किया, अब जब हिकमत व शिफा का वास्ता है कि आपस में मिलजुलो नहीं, साफ-सफाई रखो, पूजा-पाठ अपने घर पर अकेले में कर लें पर पता नहीं क्यों ये लोग हिकमत व शिफा की हिदायतों का भी मजाक बनाए हुए हैं। दिल्ली में निजामुद्दीन के पास घटित धार्मिक सम्मेलन का वाक्या भी साबित करता है कि धर्मान्धता देश एवं देशवासियों के लिए खतरनाक बन रही है। कई बुद्धिजीवी, नेता, वकील, समाजसेवी ऐसे वर्गों के मानवीय अधिकारों के नाम पर बहुत दुहाई देते है ,वह सब भी चुप हैं क्यों ? वह क्यों अपील नहीं करते कि कोरोना किसी का धर्म, भाषा, पहरावा नहीं देख रहा ,उसके संपर्क में जो भी आ रहा है वह उसे ही चपेट में ले रहा है।
देश के सबसे बड़े इस अल्पसंख्यक समुदाय को शिक्षित किए जाने की बेहद जरूरत है, अन्यथा ये क्यों नोटों पर नजला व थूक लगाकर ईश्वर के कहर का भय दिखाकर खुद भी बीमार हो रहे हैं व दूसरों को भी बीमार करने की गुस्ताखी कर रहे हैं। भगवान भी तुरंत इंसाफ करता है , अगले ही दिन रांची का वह धर्मांध धरा गया, और ईश्वर ने पुलिस के भेष में उसी को सबक सिखाया। धर्म किसी के भी सताने या उत्पीड़ित करने की शिक्षा नहीं देता। बेहतर होगा धर्म के साथ-साथ अपने देश व विज्ञान की शिक्षा भी ली जाए जो सिखा सके कि आखिर धर्म कैसे समाज का सृजन चाहते हैं। प्रशासन व पुलिस का काम सराहनीय है, अपने नागरिकों की सुरक्षा सुरक्षा देने के लिए अगर प्रशासनिक कार्रवाई नाममात्र हिंसक भी है, तब भी वह देश एवं नागरिकों के हित में ही है। उस बल प्रयोग की ताकत भी नागरिकों ने ही अपने प्रशासन को दी है। अत:वक्त है सरकार ,प्रशासन का हम सब सहयोग करके भारत को कोरोना की महामारी से बचायें।

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