नई दिल्ली। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड का कहना है कि ओलम्पिक में जीत के लिए अन्य तैयारियों के साथ-साथ मानसिक मजबूती की भी बड़ी भूमिका होगी। भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम अगले वर्ष आज से टोक्यो ओलंपिक में अपना अभियान शुरू करेंगी। पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच एवं 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक के रजत पदक विजेता ग्राहम रीड ने कहा, ‘ओलंपिक दुनिया की सबसे कठिन प्रतियोगिता है इसलिए खिलाड़ियों को मानसिक रूप से इसके लिए तैयार रहना होगा।
खिलाड़ी के रूप में सबसे बड़ी चुनौती | Olympic
एक खिलाड़ी के रूप में सबसे बड़ी चुनौती ध्यान को केंद्रित करना है। ओलंपिक का पहला मैच कई तरह की भावनाओं के साथ आता है। जो खिलाड़ी इन भावनाओं पर नियंत्रण कर खेल पर ध्यान केंद्रित रह सकता है वही आगे जा सकता है। रीड ने कहा, ‘ओलंपिक में मानसिक मजबूती एक मुख्य कारक होगा और भारतीय खिलाड़ियों के पास कठिन परिस्थितियों से निपटने की जन्मजात क्षमता होती है। मेरा उद्देश्य खिलाड़ी को उनकी मानसिक मजबूती को लेकर समझ विकसित करना है। महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच शुअर्ड मरिने ने कहा, ‘हम चुनौतीपूर्ण समय में जी रहे हैं जहां हमें हर कदम पर एक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। वर्तमान में हम नेशनल कैम्प में लौटने और प्रशिक्षण शुरू करने का इंतजार कर रहे हैं।
जब एक बार हमें यह पता चल जाएगा कि हम ओलंपिक के लिए कब से अपनी तैयारियां फिर शुरू कर सकते हैं तब हम आगे की योजना बनाने में सक्षम होंगे। विश्व की चौथे नंबर की पुरुष टीम भारत का टोक्यो ओलम्पिक में पहला मुकाबला 24 जुलाई को विश्व की आठवें नंबर की टीम न्यूजीलैंड से होगा। भारत की पुरुष टीम को पूल ए में दूसरे नंबर की टीम आॅस्ट्रेलिया, ओलम्पिक चैंपियन अर्जेंटीना, नौंवें नंबर की टीम स्पेन, आठवें नंबर की टीम न्यूजीलैंड और एशियाई खेलों के चैंपियन तथा मेजबान जापान के साथ रखा गया है। पूल बी में बेल्जियम, हॉलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका को रखा गया है।
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