गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में शुरू हुआ ‘बिग आईवीएफ, सीड सही तो बर्थ डिफेक्ट नही’

 आईवीएफ सेफ, सही सेंटर पर कराएं: डॉ गोरी अग्रवाल

गाजियाबाद। (सच कहूँ /रविन्द्र सिंह) उत्तर भारत के प्रीमियर आईवीएफ & फर्टिलिटी ट्रीटमेंट प्रोवाइडर ह्यसीड्स ऑफ इनोसेंसह्ण द्वारा ‘बिग आईवीएफ- सीड सही तो बर्थ डिफेक्ट नही’ नाम के रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स कैम्पेन का उद्घाटन रविवार को डॉ गौरी अग्रवाल ने गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में किया गया।

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आयोजित पत्रकार वार्ता में डॉ गोरी अग्रवाल ने बताया कि यह कैम्पेन भारत के 8 राज्यों में 15 आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटरों में अमल में लाया जाने वाला एक व्यापक फर्टिलिटी प्रोग्राम है। इनोवेटिव रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स, भ्रूण चिकित्सा और जेनेटिक स्क्रीनिंग सर्विस के माध्यम से हाई एंड टेक्नोलॉजी-आधारित बांझपन का इलाज़ करने के उद्देश्य से शुरू किया गया ।यह कैम्पेन कई असफल आईवीएफ साइकल, गर्भपात, आनुवंशिक बीमारियों या आनुवंशिक असामान्यता से पीड़ित दंपत्तियों को माता-पिता बनने में उनकी मदद कर सकता है।

डॉ निहारिका शर्मा ने बताया कि

‘बिग आईवीएफ- सीड सही तो बर्थ डिफेक्ट नही’ प्रोग्राम अनुभवी आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ गौरी अगर्वाल द्वारा शुरू किया गया है। डॉ गौरी अग्रवाल नए रिसर्च को अमल में लाने और नई-नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में सबसे आगे रही हैं। वह सीड्स ऑफ इनोसेंस की फाउंडर भी हैं। देश भर के मरीजों का बांझपान का इलाज़ करते हुए डॉ गौरी अग्रवाल ने जाना कि लोगों को यह पता नही है कि उनमें बार बार गर्भपात क्यों होता है और उनका आईवीएफ साइकल क्यों असफल हो जाता है। इसी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उन्होने ‘बिग आईवीएफ- सीड सही तो बर्थ डिफेक्ट नही’ प्रोग्राम शुरू किया। यह रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स से सम्बंधित सभी पहलुओं पर जागरूकता फैलाएगा। इसके अलावा यह आईवीएफ इलाज में भी एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगा।

कहाँ से मिली यह प्रेरणा

सीड्स ऑफ इनोसेंस की फाउंडर और डॉयरेक्टर डॉ गौरी अग्रवाल ने बताया कि “सीड्स ऑफ इनोसेंस में रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स को हमारे एआरटी प्रोटोकॉल का एक अभिन्न हिस्सा बनाने के लिए वास्तव में मुझे जिस चीज ने प्रेरित किया था। कहा कि जब वह झारखंड के एक दंपत्ति से मिली तो पता चला उनकी शादी को 11 साल हो चुके थे। इतने सालों बाद भी जब उन्हे बच्चा नहीं हुआ तो उन्होने “आईवीएफ” का विकल्प चुना और दूसरे ही प्रयास में सफलतापूर्वक गर्भधारण हो गया। हालांकि उनके लिए बुरी ख़बर तब आई जब प्रसवपूर्व स्कैन के दौरान पता चला कि वह भ्रूण डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। विज्ञान हमारे साथ है तो किसी के साथ हम ऐसा नहीं होने देंगे। यही हमारा लक्ष्य और प्रतिज्ञा है।”

आठ राज्यों में 15 आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटरों में शुरू हुई

यह प्रोग्राम 8 भारतीय राज्यों में सभी 15 आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटरों में शुरू किया गया है। ये सभी सेन्टर सीड्स ऑफ इनोसेंस के हैं। इन सेन्टर में जेनेटिक काउंसलिंग, दंपत्ति के लिए प्री-कॉन्सेप्शन जेनेटिक टेस्टिंग, प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग ऑफ एम्ब्रियो, फीटल मेडिसिन और एंटी-इनोसेंस सुविधा शामिल हैं। जेनेटिक स्क्रीनिंग सभी मरीजों का होता है ताकि आईवीएफ इलाज बेहतर तरीक़े से हो सके। रिप्रोडक्टिव जेनेटिक्स के लिए नए लॉन्च किए गए सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस से विभिन्न वर्गों को लाभ होगा। इससे जो महिला बांझपन से पीड़ित हैं, जिन्हे आनुवंशिक बीमारियां हैं और जिन महिलाओं की उम्र ज्यादा हो गई है, आदि को संतान सुख प्राप्त करने का मौका मिलेगा।

डॉ गौरी ने कहा कि “रिप्रोडक्टिव स्पेशलिस्ट, जेनेटिसिस्ट और भ्रूण चिकित्सा एक्सपर्ट्स वाली हमारी टीम की विशेषज्ञता के तहत उपलब्ध सबसे एडवांस इन-हाउस जेनेटिक टेस्टिंग लैब, अत्याधुनिक सुविधाएं और अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने से निसंतानता से पीड़ित दंपत्तियों को एक स्वस्थ बच्चे का माता-पिता बनने का मौका मिलता है।”

इन-हाउस जेनेटिक टेस्टिंग लैब स्थापित करने वाला देश का पहला आईवीएफ सेन्टर रहा

गौरतलब है कि सीड्स ऑफ इनोसेंस 2017 में इन-हाउस जेनेटिक टेस्टिंग लैब स्थापित करने वाला देश का पहला आईवीएफ सेन्टर भी था। एक स्वस्थ गर्भावस्था और आनुवंशिक रूप से स्वस्थ बच्चे का आश्वासन देने के लिए आईवीएफ में 78% तक की सफलता दर हासिल करने के लिए जेनेटिक स्क्रीनिंग (पीजीएस/पीजीडी) का उपयोग किया जाता है। डॉ गौरी अग्रवाल को हाल ही में 2022 इकोनॉमिक टाइम्स हॉल ऑफ फेम आईवीएफ स्पेशलिस्ट से सम्मानित किया था, और सीड्स ऑफ इनोसेंस को आईवीएफ चेन ऑफ द ईयर (उत्तर भारत) 2022 पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

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