नई दिल्ली। भाजपा के एक सदस्य ने राज्यसभा में सोमवार को कहा कि 2000 रुपए के नोट का धड़ल्ले से गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों और गैर-कानूनी व्यापार में हो रहा है। ऐसे में सरकार को इसे सिलसिलेवार तरीके से बंद कर देना चाहिए। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘बाजार में गुलाबी रंग के 2,000 रुपए के नोटों का दर्शन दुर्लभ हो गया है। एटीएम से नहीं निकल रहा है और अफवाह है कि यह अब वैध नहीं रहा। उन्होंने सरकार से इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
तीन साल से नहीं छाप रहा 2000 रुपए का नोट
केंद्र सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके तहत 500 और 1,000 रुपए के नोटों को अवैध घोषित कर चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार ने कुछ दिनों के बाद उनके स्थान पर 500 रुपए और 2,000 रुपए के नए नोट जारी किए थे।
नोट बदलवाने का मिले समय
उन्होंने मांग की कि सरकार जनता को मौका दें ताकि वे एक या दो साल में 2,000 के नोटों को दूसरे नोटों से बदल लें।
छोटे उद्यमों के ऋण आवदेनों को ठुकराने की होती है जांच
सरकार ने राज्यसभा में कहा कि छोटे उद्यमों के ऋण आवेदनों को ठुकराने की जांच होती है और उस पर उचित कार्रवाई होती है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कि अरग कोई बैंक किसी छोटे उद्यमी के ऋण आवेदन को खारिज करता है तो उसकी जांच जिलाधीश से करायी जाती है और उस पर उचित कार्रवाई होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के माध्यम से लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य स्व रोजगार के अवसर पैदा करना है। इसके अंतर्गत गैर कृषि क्षेत्र के छोटे उद्यमों को धन उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना में सेवा क्षेत्र और विनिर्माण क्षेत्र के लिए भी धन दिया जाता है। यह ऋण 20 लाख रूपए तक हो सकता है।
संसद में उठी तमिलनाडु के माचिस उद्योग को बचाने की मांग
संसद में तमिलनाडु के माचिस उद्योग को कच्चे माल की महंगाई के कारण उत्पन्न चुनौती का मुद्दा उठाया गया और सरकार से एक बार प्रयोग में आने वाले लाइटरों के अवैध आयात पर रोक लगाने की मांग की गयी। लोकसभा में शून्यकाल में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोझी ने यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि तूतीकोड़ि जिले में माचिस उद्योग से दस लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है जिनमें 90 प्रतिशत महिलाएं हैं।
माचिस बनाने में 14 प्रकार का कच्चा माल लगता है। हाल के दिनों में बोर्ड की कीमत 40 रुपए से बढ़ कर 90 रुपए हो गयी है। लाल फास्फोरस की कीमत भी 400 रुपए से बढ़ कर 1000 रुपए प्रति क्विंटल हो गयी है। अन्य कच्चे माल के दामों में भी इजाफा हुआ है। इससे इस उद्योग पर प्रभाव पड़ा है।
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