UP News: (सच कहूं/अनु सैनी)। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर परियोजना की लागत के कारण ग्राहकों को बिजली की दरें बढ़ने का काफी डर सता रहा था, जो अब वो खत्म हो गया है, दरअसल यूपी विद्युत नियामक आयोग ने साफ कह दिया है कि स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी मीटर पर आने वाले किसी भी खर्च का असर बिजली उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा, जानकारी के मुताबित उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर परियोजना पर 27342 करोड़ की लागत आ रही हैं, लेकिन यूपी विद्युत नियामक ने ये साफ कह दिया हैं कि बिजली कंपनियां किसी भी रूप में इस खर्चे को उपभोक्ताओं पर नहीं डालेंगी, यानी कि यह खर्चा बिजली की दरों, बिजली कंपनियों के सलाना खर्चे या ट्रअप में शामिल नहीं किया जाएगा।
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ARR में दिखाए दरें बढ़ने की आशंका
बता दें कि बिजली कंपनियों ने आयोग में साल 2024-25 के लिए सलाना खर्च में जो घाटा दिखाया हैं, उसी के आधार पर बिजली की दरें बढ़ाने की आशंका हैं। बिजली कंपनियां लगातार सलाना खर्चे में घाटा दिखाकर घाटे की भरपाई की मांग कर रही है, और क्योंकि आयोग ने खर्चे की भरपाई उपभोक्ताओं पर डालने से इंकार कर दिया हैं, इसलिए बिजली कंपनियों ने अब यह आयोग पर ही छोड़ दिया है कि घाटे की भरपाई कैसे होंगी, वहीं आयोग का कहना हैं कि बिजली कंपनियां कलेक्शन एफेशिएंसी और अपनी कार्यकुशलता के आधार पर इसकी भरपई स्वयं ही करें।
आयोग के फैसले ने उपभोक्ता परिषद पर जताया आभार
दरअसल शुक्रवार को जैसे ही उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक ने जब ये ऐलान किया कि स्मार्ट इलेक्ट्रीसिटी मीटर को लेकर उपभोक्ताओं पर किसी भी तरह का खर्चा नहीं डाला जाएगा, तो उपभोक्ता परिषद ने नियामक के इस फैसले पर खुशी जताई, और नियामक का आभार जताया, उन्होंन बताया कि उपभोक्ता परिषद लंबे समय से इसके लिए संघर्ष कर रहा था, कि स्मार्ट मीटर का खर्चा किभी भी कीमत पर ग्राहकों पर न पड़े।
भारत सरकार से 18885 करोड़ अनुमादित टेंडर 27342 करोड़ का है
स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना के लिए भारत सरकार से अनुमादित धनराशि 18885 करोड़ रुपये हैं, लेकिन बिजली कंपनियों ने जो टेंडर अवार्ड किया हैं, वह 27342 करोड़ रुपये का है। बिजली कंपनियां इतनी बड़ी धनराशि का इंतजाम कैसे होगा, इस पर नये सिरे से विचार करेंगी।