आखिर भाजपा ने चुनाव मनोरथ पत्र में किए ऐलान को अमली जामा पहनाते जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा दी। यह ऐतिहासिक निर्णय राजनीतिक व कूटनीतक महत्ता वाला है। केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार ने बड़े गुप्त तरीके से तैयारी कर निर्णय का ऐलान किया है। निर्णय की अहमियत व गंभीरता इस बात से ही जाहिर है कि सरकार को निर्णय से कई दिन पहले ही गुप्त तरीके से राज्य में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने पड़े।
इस निर्णय की बारीकियों व इसके देश के अंदर और बाहर के मामलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा, परन्तु इसके साथ पाकिस्तान को बड़ी कूटनीतिक हार का सामना करना पड़ा है। इसी 370 धारा कारण ही कश्मीर के अलगाववादी वहां से आवाम को गुमराह कर आतंकवाद को आजादी की लड़ाई का नाम दे रहे थे। ताजा निर्णय से जम्मू-कश्मीर का स्पैशल दर्जा खत्म हो गया है और वह अन्य केंद्र शासित राज्यों की तरह ही देश का एक राज्य बन गया है। अलगाववादियों की ओर से भारत का अटूट अंग होने के बावजूद कश्मीरियत को एक राष्ट के रूप में पेश किया जाता था।
चीन की ओर से कश्मीरियों को अलग तौर पर वीजा देने की कार्रवाई ने भी भारत की एकता व अखंडता पर सवाल उठा दिए थे। जहां तक इच्छा शक्ति का सवाल है, भाजपा ने ठोस राजनीतिक इच्छा शक्ति का सबूत दिया है। इस समय भाजपा के पास केंद्र में पूर्ण बहुमत है। इसलिए भाजपा के पास राजनीतिक ताकत का सबसे अच्छा मौका भी अब ही है। धारा -370 तोड़ना राजनीति व सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ी चुनौती था। कांग्रेस सहित कुछ पार्टियां इस निर्णय से सहमत नहीं, परंतु जहां देश की एकता और अखंडता का सम्बन्ध है। उस मामले में सहमति जरूरी है।
आतंकवाद को लंबे समय तक सहन नहीं किया जा सकता। कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों को भी चाहिए कि वह वोटों की राजनीति छोड़ कर आवाम की खुशहाली और अमन सुरक्षा के लिए काम करें। कुछ कानून और धाराओं की प्रासंगिकता कुछ हद तक होती है। संविधान देश के लिए होता है न कि देश संविधान के लिए। संविधान में देश की जरूरतों मुताबिक बदलाव जरूरी है जो संविधान जनता की जरूरतों अनुसार नहीं बदलता उसकी उपयोगिता खत्म हो जाती है। संविधान देश और जनता के कल्याण के साथ ही सार्थक होता है।