पूरे प्रकरण की एजेंसी से जांच करवाने की मांग
सरसा (सच कहूँ न्यूज)। चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय में पिछले काफी समय से भर्तियों में गड़बड़झाला किया जा रहा है। नजराना लेकर कर्मचारियों को बैक डेट में ज्वाइन करवाकर मोटे तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। रोहतक के गांव सिंहपुरा के पूर्व सरपंच रणवीर सिंह पावडिय़ा ने सोमवार को निजी रेस्तरां में पत्रकारों से बातचीत करते हुए विश्वविद्यालय प्रबंधन पर उक्त आरोप लगाए।
उन्होंने बताया कि सरकार ने कुछ समय पूर्व आऊटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत भर्तियां बंद कर दी थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सभी नियमों को दरकिनार कर बैक डेट में 70 से 80 कर्मचारियों की भर्तियां कर डाली। यही नहीं इन भर्तियों की एवज में कर्मचारियों से मोटा नजराना भी लिया गया। हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से कुछ कर्मचारी ऐसे भी है, जो बिना ड्यूटी पर जाए ही वेतन ले रहे है, जिससे सरकारी पैसे की जमकर बर्बादी की जा रही है। उन्होंने इस संबंध में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी मांगी, जोकि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उपलब्ध नहीं करवाई।
आरटीआई के तहत मांगी गई थी जानकारी, नहीं दी
रणवीर सिंह ने बताया कि इस पूरे प्रकरण की उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी भी मांगी, लेकिन विश्विद्यालय प्रबंधन की ओर से उसे कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने राज्यपाल, सीएम विंडो, शिक्षा मंत्री व गृह मंत्री को लिखित में शिकायत दी, लेकिन अभी तक किसी ने भी शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया। इतना ही नहीं सीएम विंडो की शिकायतों को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने स्वयं ही उसे बिना बुलाए डिस्पोज आॅफ कर दिया। रणवीर सिंह ने बताया कि कुछ दिन पूर्व नैक की टीम विश्वविद्यालय में जांच के लिए आई, जिस पर विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से लाखों रुपए का अनावश्यक खर्च किया गया, जबकि उन्हें सरकार की ओर से टीए-डीए मिलता है।
जब मामला उठने लगा तो कुलपति के पीए ओमदा लांबा ने फोन कर उसे शिकायत वापस न लेने पर जान से मारने की धमकी दी। जिस पर उसने तुरंत एसपी सरसा को भी सुरक्षा के लिहाज से शिकायत दी, ताकि उसके साथ कोई अप्रिय घटना न हो। रणवीर सिंह ने कहा कि उसकी मांग है कि इस पूरे प्रकरण की किसी एजेंसी से जांच करवाई जाए, ताकि भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके शिक्षा के मंदिर को बचाया जा सके।
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